खालिदा जिया और भारत संबंध: गुलामी के आरोपों से आतंकवाद विरोधी वचन तक
खालिदा जिया का भारत के प्रति रुख शुरू में टकरावपूर्ण रहा, लेकिन बाद के वर्षों में व्यावहारिकता और आतंकवाद विरोधी सहयोग के साथ रिश्तों में सुधार देखने को मिला।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार तड़के निधन हो गया। 80 वर्षीय जिया हृदय और फेफड़ों में संक्रमण के साथ निमोनिया से पीड़ित थीं। वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और 1991–96 तथा 2001–06 के बीच दो पूर्ण कार्यकाल पूरे किए। उन्होंने 1991 के जनमत संग्रह के जरिए राष्ट्रपति प्रणाली की जगह संसदीय व्यवस्था लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई।
पिछले तीन दशकों में बांग्लादेश की राजनीति पर दो महिलाओं का दबदबा रहा—खालिदा जिया और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना। भारत के प्रति दोनों नेताओं का दृष्टिकोण अलग रहा। जहां शेख हसीना को भारत-समर्थक माना गया, वहीं खालिदा जिया ने शुरुआती वर्षों में भारत के प्रति सतर्क और कई बार टकरावपूर्ण रुख अपनाया। उन्होंने बांग्लादेश की संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए भारत को ज़मीनी ट्रांजिट देने का विरोध किया और भारतीय ट्रकों को टोल-मुक्त आवागमन को ‘गुलामी’ जैसा बताया।
जिया ने 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि के नवीनीकरण का भी विरोध किया और फरक्का बैराज को लेकर भारत पर गंगा के पानी से वंचित करने के आरोप लगाए। 2002 में उन्होंने चीन के साथ रक्षा सौदे कर भारत को नजरअंदाज किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ा। भारत ने भी बीएनपी सरकार पर उत्तर-पूर्वी राज्यों में सक्रिय उग्रवादी समूहों को शरण देने के आरोप लगाए।
और पढ़ें: खालिदा जिया के निधन पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने सात दिनों के शोक की घोषणा की
हालांकि जिया का रुख पूरी तरह कठोर नहीं रहा। 1992 में टिन बीघा कॉरिडोर का पट्टा और 2006 में भारत यात्रा के दौरान व्यापार व मादक पदार्थ तस्करी रोधी समझौते उनकी व्यावहारिक नीति के उदाहरण हैं। 2012 के बाद भारत के साथ रिश्तों में नरमी आई और बीएनपी ने भारतीय लक्ष्यों पर हमले करने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 2015 में ढाका में मुलाकात और बाद के वर्षों में संवाद ने रिश्तों में सुधार का संकेत दिया। उनके निधन पर पीएम मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए भारत-बांग्लादेश संबंधों में उनके योगदान को याद किया।
और पढ़ें: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में निधन