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कोलकाता में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों से बच्चों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा की अपील की

कोलकाता में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों से अपील की कि बच्चों पर रिपोर्टिंग करते समय उनकी निजता, सहमति और गरिमा का सम्मान करते हुए दीर्घकालिक कल्याण को प्राथमिकता दें।

कोलकाता में आयोजित एक मीडिया सेंसिटाइजेशन मीट के दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने पत्रकारों से अपील की कि वे बच्चों से जुड़े मुद्दों की रिपोर्टिंग करते समय उनकी गरिमा और अधिकारों की रक्षा करें। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पत्रकारों को यह समझाना था कि बच्चों पर आधारित समाचार केवल सनसनीखेज़ न होकर संतुलित, संवेदनशील और जिम्मेदार होने चाहिए।

विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग में सार्वजनिक हित के साथ-साथ उनकी निजता, सहमति और दीर्घकालिक कल्याण का भी ध्यान रखना आवश्यक है। कई बार मीडिया रिपोर्ट्स में बच्चों की पहचान उजागर कर दी जाती है, जिससे उन्हें भविष्य में सामाजिक बहिष्कार, मानसिक दबाव और असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उदाहरण देते हुए बताया कि यौन शोषण, बाल श्रम या बाल विवाह जैसे मामलों की रिपोर्टिंग में बच्चों की तस्वीरें, नाम या कोई भी पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों से संबंधित कहानियों को मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाए, ताकि उनके अधिकार सुरक्षित रहें और उनकी गरिमा बनी रहे।

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बैठक में यह भी चर्चा हुई कि पत्रकारों को रिपोर्टिंग करते समय केवल घटनाओं का ब्यौरा देने के बजाय समस्या की जड़, सामाजिक कारण और समाधान पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही, बच्चों से जुड़े मामलों में उनकी अनुमति और परामर्श को भी महत्व दिया जाना चाहिए।

इस पहल का मकसद मीडिया और समाज के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण स्थापित करना है, जिससे बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सके और वे सुरक्षित वातावरण में आगे बढ़ सकें।

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