अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव में नहीं, स्वेच्छा से होना चाहिए: मोहन भागवत
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए। उन्होंने भारतीयों से अपील की कि वे स्वदेशी उत्पाद अपनाकर घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव में नहीं बल्कि स्वेच्छा से होना चाहिए। उन्होंने यह बात उसी दिन कही जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया। भागवत ने भारतीयों से अपील की कि वे इस समय स्वदेशी उत्पादों का चुनाव करें और घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें।
भागवत ने कहा कि वैश्विक व्यापार में सभी देशों के बीच सम्मान और समान अवसर होना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी देश को व्यापारिक फैसलों के लिए दबाव में नहीं आना चाहिए। उनका मानना है कि दबाव में किए गए व्यापारिक समझौते दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में मदद नहीं कर सकते।
उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि स्वदेशी उत्पादों को अपनाना न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि यह देशभक्ति का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय अपने स्तर पर इस पहल में योगदान कर सकता है, जिससे स्थानीय उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
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विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ से व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ेगा। इस परिस्थिति में भागवत का संदेश यह है कि भारत को आर्थिक निर्णयों में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
भागवत की यह अपील व्यापारिक नीतियों और उपभोक्ताओं के व्यवहार दोनों पर ध्यान केंद्रित करती है। उनका यह भी मानना है कि स्वदेशी उत्पादों का चयन करके भारतीय नागरिक देश की आर्थिक मजबूती में योगदान कर सकते हैं।