×
 

ट्रम्प की वापसी के बाद अमेरिका ने 1,500 से ज़्यादा भारतीयों को डिपोर्ट किया

ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल (20 जनवरी–15 जुलाई 2025) में अमेरिका ने 1,563 भारतीय नागरिकों को वाणिज्यिक उड़ानों से भारत भेजा। यह हठी निष्कासन अभियान का हिस्सा है, जबकि भारत ने भागीदारी की और ग्लोबल इम्रिग्रेशन नीतियों को संतुलन प्रदान किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जनवरी 2025 में फिर से व्हाइट हाउस लौटने के बाद से अमेरिका ने 1,563 भारतीय नागरिकों को भारत भेज दिया है। यह आंकड़ा 20 जनवरी से 15 जुलाई तक की अवधि का है। अधिकतर लोगों को वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए डिपोर्ट किया गया है।

ट्रम्प प्रशासन ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही इमिग्रेशन पर सख्त रुख अपनाया है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहले ही साफ कर दिया था कि अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई तेज़ की जाएगी। भारतीय नागरिकों की डिपोर्टेशन भी इसी नीति का हिस्सा है। भारत ने अमेरिकी मांग पर सहमति जताते हुए उन नागरिकों को वापस लेने की प्रक्रिया में सहयोग किया है, जिनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि हो चुकी थी। सरकार का रुख स्पष्ट है—कोई भी भारतीय नागरिक अगर विदेश में अवैध रूप से रह रहा है, तो उसकी वापसी की ज़िम्मेदारी भारत की ही है। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में करीब 7.25 लाख भारतीय बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे हैं, जो अवैध अप्रवासियों की संख्या में तीसरे स्थान पर आते हैं। इनसे ऊपर केवल मैक्सिको और एल साल्वाडोर के नागरिक हैं।

अमेरिकी दूतावास ने हाल ही में भारतीय वीज़ा धारकों को चेतावनी दी है कि अगर वे अमेरिका में किसी भी प्रकार का अपराध करते हैं—जैसे चोरी, झगड़ा या डकैती—तो उनका वीज़ा रद्द किया जा सकता है और उन्हें डिपोर्ट किया जा सकता है। यहां तक कि मामूली चोरी भी भविष्य में अमेरिका में प्रवेश पर रोक का कारण बन सकती है। दूतावास ने यह भी कहा कि वीजा जारी हो जाने के बाद भी लगातार निगरानी होती रहती है, और कोई भी गलती उनके अमेरिका में रहने के अधिकार को समाप्त कर सकती है। विदेश जाने वाले भारतीयों को अमेरिका के क़ानूनों का पालन करने की सख़्त हिदायत दी गई है।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:

ट्रम्प प्रशासन ने व्यापक निष्कासन नीति लागू करते हुए ‘थर्ड कंट्री रिमूवल’ का इस्तेमाल भी शुरू किया है, जिसमें अप्रवासियों को ऐसे देशों में भेजा जाता है जहां उनकी नागरिकता नहीं होती लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था उन्हें स्वीकार करने को तैयार होती है। डिपोर्टेशन में अब सैन्य उड़ानों का उपयोग भी देखा गया है, जिससे इसे लेकर मानवाधिकार और राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है।

इस डिपोर्टेशन अभियान पर कई देशों ने चिंता जताई है, लेकिन ट्रम्प सरकार इसे अमेरिका की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था का हिस्सा मानती है। भारत सरकार के लिए यह स्थिति संतुलन साधने जैसी रही है—जहां एक तरफ वह अमेरिका के साथ सामरिक संबंधों को मजबूत रखना चाहती है, वहीं दूसरी ओर उसे अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी करनी है।

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share