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मत्स्य क्षेत्र में नीतिगत बदलाव की सिफारिश, सब्सिडी को सीमित अवधि तक रखने का सुझाव: नीति आयोग रिपोर्ट

नीति आयोग ने मत्स्य क्षेत्र में सीमित अवधि की सब्सिडी और दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की सिफारिश की। रिपोर्ट ने टिकाऊ मत्स्य प्रबंधन और ब्लू इकॉनमी के विस्तार पर जोर दिया।

नीति आयोग ने भारत के मत्स्य क्षेत्र में दीर्घकालिक सुधारों की दिशा में एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सब्सिडियों को न्यूनतम और सीमित अवधि तक सीमित रखने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट का शीर्षक है — भारत की ब्लू इकॉनमी: गहरे समुद्री और अपतटीय मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने की रणनीति” (India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries)।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मत्स्य क्षेत्र में सब्सिडी का उपयोग केवल अल्पकालिक प्रोत्साहन के रूप में होना चाहिए, ताकि मछुआरों को नई तकनीक, आधुनिक जहाजों और टिकाऊ मछली पकड़ने के तरीकों को अपनाने में मदद मिल सके। इसके बाद इन सब्सिडियों को धीरे-धीरे समाप्त कर देना चाहिए, ताकि क्षेत्र आत्मनिर्भर बन सके और राजकोषीय बोझ कम हो।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ब्लू इकॉनमी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, लेकिन इसके लिए टिकाऊ संसाधन प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन अनिवार्य हैं। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि गहरे समुद्री मत्स्य पालन (Deep-Sea Fishing) और अपतटीय गतिविधियों (Offshore Operations) में निवेश को बढ़ावा दिया जाए, साथ ही पर्यावरण संरक्षण मानकों का कड़ाई से पालन हो।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मछुआरों को आधुनिक प्रशिक्षण, डिजिटल ट्रैकिंग प्रणाली और समुद्री सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संयुक्त नीति ढांचा तैयार किया जाना चाहिए। इससे रोजगार सृजन, निर्यात वृद्धि और तटीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।

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