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भविष्य पर नजर, पर अतीत का बोझ: शहाबुद्दीन के बेटे उसामा की सियासी जद्दोजहद

शहाबुद्दीन के बेटे उसामा शहाब अपने पिता की डरावनी छवि के साये में जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे शांत स्वभाव और सादगी से चुनाव लड़ रहे हैं।

बिहार चुनाव में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला नाम है उसामा शहाब, जो दिवंगत आरजेडी नेता और पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पुत्र हैं। शहाबुद्दीन कभी सीवान, गोपालगंज और सारण जिलों में आतंक का पर्याय माने जाते थे, लेकिन उनका बेटा उसामा, अपने पिता से बिल्कुल अलग छवि के साथ राजनीति में कदम रख रहा है।

31 वर्षीय उसामा का व्यक्तित्व अपने पिता के विपरीत शांत और संयमी है। उनके बिखरे बाल और अनकट दाढ़ी उनकी सादगी को दर्शाते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान वह कम बोलते हैं और दिखावे से दूर रहते हैं, लेकिन लोगों से मिलने और उनका भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उसामा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अपने पिता की विरासत से खुद को अलग पहचान दिलाना। जनता में अभी भी शहाबुद्दीन की छवि “डॉन-से-राजनेता” वाली बनी हुई है, लेकिन उसामा इसे बदलने की दिशा में मेहनत कर रहे हैं।

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स्थानीय लोग बताते हैं कि उसामा लोगों की समस्याएं सुनते हैं, बिना किसी सुरक्षा घेरे के गांवों में घूमते हैं और युवा नेता के रूप में एक नई पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, विपक्षी दल उन्हें “शहाबुद्दीन की छाया” बताकर घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बावजूद, उसामा का कहना है कि “मैं अपने पिता का बेटा जरूर हूं, पर मेरी राजनीति जनता के विश्वास पर आधारित है।”

उनकी यह नई राजनीतिक यात्रा बताती है कि बिहार की राजनीति में वंश और विरासत के साथ-साथ परिवर्तन की हवा भी बह रही है।

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