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संसद सत्र की शुरुआत टैगोर के अपमान से हुई, अंत गांधी के अपमान पर हुआ: कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि संसद का शीतकालीन सत्र टैगोर से शुरू होकर गांधी के अपमान पर खत्म हुआ, जबकि सरकार वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर चर्चा से बचती रही।

संसद के शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह सत्र सरकार द्वारा पहले रवींद्रनाथ टैगोर और अंत में महात्मा गांधी के “अपमान” के साथ समाप्त हुआ। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने शुक्रवार (19 दिसंबर 2025) को कहा कि यह सत्र “प्रदूषण कालीन” सत्र के रूप में याद किया जाएगा।

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन सरकार इस विषय पर बहस से “भाग रही थी”। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सत्र की शुरुआत में जिन 14 विधेयकों को पेश करने की बात कही थी, उनमें से 12 में से पांच विधेयक पेश ही नहीं किए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार विधेयक लाना ही नहीं चाहती, तो ऐसी जानकारी क्यों दी जाती है।

उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कहा था कि ऐसी बैठकें अक्सर औपचारिक होती हैं और सत्र के अंत में अचानक कोई बड़ा विधेयक लाया जाता है। उनके अनुसार, इस बार भी ऐसा ही हुआ और ‘विकसित भारत—गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी VB-G RAM G विधेयक को विपक्ष के हंगामे के बीच पारित कर दिया गया।

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जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि वंदे मातरम् पर हुई बहस के दौरान सरकार ने जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि टैगोर का अपमान किया गया, जबकि 1937 में टैगोर की सिफारिश पर ही कांग्रेस कार्यसमिति ने वंदे मातरम् की पहली दो पंक्तियों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का फैसला किया था।

उन्होंने कहा कि सत्र का अंत महात्मा गांधी के “अपमान” के साथ हुआ, जब मनरेगा की जगह नया G RAM G कानून पारित किया गया। जयराम रमेश के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति आधुनिक भारत के निर्माता माने जाने वाले टैगोर, नेहरू और गांधी — तीनों का अपमान करने की थी।

लोकसभा और राज्यसभा दोनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह 19 दिन का सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ था, जिसमें मनरेगा को निरस्त करने, परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी और बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाने जैसे अहम विधेयक पारित किए गए।

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