मन की बात के वर्ष 2025 के अंतिम संबोधन में पीएम मोदी ने युवाओं को विकास की धुरी बताया
मन की बात के अंतिम एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय युवा विज्ञान, तकनीक और नवाचार से देश का विकास कर रहे हैं और साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों को भी मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 129वें और वर्ष 2025 के अंतिम एपिसोड में कहा कि आज दुनिया भारत को बड़ी उम्मीदों की नजर से देख रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह देश के युवा हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में विकास को आगे बढ़ा रहे हैं, साथ ही देश की सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूती से थामे हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज दुनिया भारत से बहुत अपेक्षाएं रखती है। इसका सबसे बड़ा कारण हमारे युवा हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, नवाचार और तकनीकी प्रगति ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत के युवा हमेशा कुछ नया करने का जज्बा रखते हैं और सामाजिक रूप से जागरूक भी हैं।
युवाओं को अपने विचार प्रस्तुत करने के अवसरों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग’ का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इसका दूसरा संस्करण 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित होगा, जिसमें वे स्वयं भाग लेंगे। इस संवाद में युवा नवाचार, फिटनेस, स्टार्टअप और कृषि जैसे विषयों पर अपने विचार साझा करेंगे।
और पढ़ें: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्नाटक के नौसैनिक अड्डे पर पनडुब्बी सॉर्टी की
प्रधानमंत्री ने युवाओं की बढ़ती भागीदारी पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि हाल ही में आयोजित पिच प्रतियोगिता में 50 लाख से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया, जबकि निबंध प्रतियोगिता में तमिलनाडु पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा।
उन्होंने ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2025’ का भी उल्लेख किया, जिसमें छात्रों ने 80 से अधिक सरकारी विभागों से जुड़े 270 से ज्यादा वास्तविक समस्याओं के समाधान सुझाए। इनमें ट्रैफिक प्रबंधन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल बैंकिंग और कृषि क्षेत्र से जुड़े समाधान शामिल हैं। पीएम मोदी ने युवाओं से ऐसे हैकाथॉन में भाग लेने की अपील की।
तकनीक-प्रधान होते जीवन पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते समय में सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने IISc के ‘गीतांजलि’ सांस्कृतिक केंद्र और दुबई में ‘कन्नड़ पाठशाला’ जैसे उदाहरण देकर बताया कि भारत और विदेशों में रह रहे भारतीय अपनी संस्कृति और भाषा को जीवित रखे हुए हैं।
और पढ़ें: उत्तर प्रदेश में पुलिसिंग मजबूत करने के लिए AI आधारित ऐप यक्ष लॉन्च