पजेरो संस्कृति से सड़कों तक: पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में जवाबदेही की जंग
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई है। “पजेरो संस्कृति” के प्रतीक सत्ताधारी वर्ग से अब जवाबदेही की मांग तेज हो रही है।
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) में जनता का जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग को लेकर संघर्ष अब सड़कों तक पहुंच गया है। लंबे समय से यह क्षेत्र पाकिस्तान के राजनीतिक नियंत्रण में रहते हुए भी “अलग पहचान” के प्रतीक के रूप में पेश किया जाता रहा है। पाकिस्तान सरकार ने दशकों से दुनिया के सामने POJK को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में दिखाने की कोशिश की है, जिसमें एक संविधान, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की व्यवस्था मौजूद है।
हालांकि, जमीन पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है। स्थानीय लोग लंबे समय से भ्रष्टाचार, आर्थिक शोषण और प्रशासनिक असमानता के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। “पजेरो संस्कृति” — यानी सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों की ऐशोआराम भरी जीवनशैली — अब जनता के गुस्से का प्रतीक बन चुकी है। इन नेताओं पर संसाधनों की लूट और जनता की जरूरतों की अनदेखी के आरोप लग रहे हैं।
हाल के महीनों में POJK के कई इलाकों में सड़क प्रदर्शन, हड़तालें और विरोध मार्च हुए हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है — न्याय, पारदर्शिता और वास्तविक राजनीतिक प्रतिनिधित्व। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को एक “राजनीतिक मुखौटे” के रूप में इस्तेमाल किया है, जबकि वहां के लोग मूलभूत सुविधाओं और रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान की नीति पर गंभीर सवाल उठाते हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि जनता अब सत्ता के प्रतीकात्मक ढांचे से आगे बढ़कर वास्तविक लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग कर रही है।
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