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पोप लियो का पहला साक्षात्कार: ट्रंप, यौन शोषण विवाद, LGBTQIA+ समुदाय और चीन पर खुलकर बातचीत

पोप लियो ने पहले साक्षात्कार में ट्रंप से असहमति जताई, यौन शोषण मामलों में कड़े कदमों की बात कही, LGBTQIA+ समुदाय के प्रति स्वागत भाव और चीन से संवाद पर जोर दिया।

पोप लियो ने अपने पहले साक्षात्कार में वैश्विक और धार्मिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय साझा की। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दूरी बनाते हुए कहा कि वे उनके समर्थक नहीं हैं। पोप ने उल्लेख किया कि उनके भाई लुइस प्रेवोस्ट, जो खुद को “MAGA-टाइप” मानते हैं और ट्रंप से मिल चुके हैं, उनसे अलग विचार रखते हैं। इससे उन्होंने यह संकेत दिया कि चर्च की राजनीतिक विचारधारा स्वतंत्र और निष्पक्ष है।

यौन शोषण मामलों पर बोलते हुए पोप लियो ने कहा कि कैथोलिक चर्च को आत्ममंथन करना चाहिए और पीड़ितों को न्याय दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि अतीत की गलतियों से सबक लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही को संस्थागत ढांचे का हिस्सा बनाना अनिवार्य है।

LGBTQIA+ समुदाय के प्रति पोप का रुख भी बेहद सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा कि चर्च को सभी के लिए खुला और स्वागतयोग्य बनना चाहिए। उनके अनुसार, धर्म का मूल उद्देश्य करुणा, प्रेम और समावेशिता है, न कि भेदभाव।

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चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि संवाद और सहयोग की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने माना कि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन शांति और सहयोग ही चर्च का अंतिम लक्ष्य है।

इस इंटरव्यू से पोप लियो ने न केवल चर्च के भविष्य के लिए अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट कीं बल्कि यह भी दिखाया कि आधुनिक युग में कैथोलिक चर्च किस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है।

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