सऊदी अरब ने खत्म किया कफाला सिस्टम : अब 23 लाख भारतीय श्रमिकों को मिलेगी राहत
सऊदी अरब ने विवादास्पद कफाला श्रम प्रणाली समाप्त की, जिससे 23 लाख भारतीयों सहित लाखों प्रवासी श्रमिकों को अत्याचार और शोषण से राहत मिलेगी।
सऊदी अरब ने इस महीने आधिकारिक रूप से विवादास्पद ‘कफाला’ श्रम प्रायोजन प्रणाली को समाप्त कर दिया है। यह प्रणाली करीब 50 वर्षों से लागू थी और इसे आधुनिक काल की गुलामी कहा जाता था। इस व्यवस्था में नियोक्ता, जिन्हें ‘कफील’ कहा जाता था, विदेशी कर्मचारियों पर अत्यधिक नियंत्रण रखते थे — वे उनके पासपोर्ट जब्त कर सकते थे, नौकरी बदलने या देश छोड़ने की अनुमति रोक सकते थे।
कई बार तो यह स्थिति फिरौती जैसी हो जाती थी। उदाहरण के तौर पर, कर्नाटक की नर्स जसिंथा मेंडोंका को 2016 में कतर में नौकरी का लालच देकर सऊदी भेजा गया था, जहां उसके कफील ने उसकी रिहाई के लिए ₹4.3 लाख मांगे थे। भारत सरकार को राजनयिक और कानूनी माध्यमों से उसकी रिहाई करानी पड़ी।
अब सऊदी अरब ने ऐसी घटनाओं को अवैध घोषित कर दिया है। यह कदम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030’ सुधार कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सऊदी की छवि सुधारना और विदेशी निवेश आकर्षित करना है। इस बदलाव से लगभग 1.3 करोड़ विदेशी श्रमिकों को लाभ मिलेगा, जिनमें करीब 23 लाख भारतीय हैं।
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कफाला प्रणाली 1950 के दशक में शुरू की गई थी ताकि दक्षिण एशिया और अन्य देशों से आने वाले श्रमिकों के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके। इसके तहत प्रत्येक श्रमिक को एक ‘कफील’ से जोड़ा जाता था, जो उसके काम, वेतन और यहां तक कि निवास पर भी नियंत्रण रखता था।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और अन्य एजेंसियों ने लंबे समय से इस प्रणाली को मानव तस्करी का रूप बताया था। विशेष रूप से महिलाओं के साथ अत्याचार और यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए थे। वैश्विक दबाव और निवेशकों की नाराजगी के चलते अंततः सऊदी प्रशासन ने इसे समाप्त करने का फैसला लिया।
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