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कैंसर परीक्षणों में धूम्रपान की स्थिति दर्ज करना अनिवार्य हो: विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर ट्रायल्स में मरीजों के धूम्रपान की स्थिति दर्ज होनी चाहिए। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पंजीकरण के समय धूम्रपान छोड़ने पर परामर्श देना मानक प्रक्रिया बन चुका है।

एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा है कि कैंसर से जुड़ी सभी क्लिनिकल ट्रायल्स में मरीजों के धूम्रपान की स्थिति को अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाना चाहिए। अध्ययन के अनुसार, धूम्रपान की आदत कैंसर के इलाज की प्रभावशीलता, उपचार के दुष्प्रभाव और मरीजों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों पर महत्वपूर्ण असर डालती है।

पिछले एक दशक में, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के कई कैंसर केंद्रों में यह मानक प्रक्रिया बन गई है कि मरीजों के पंजीकरण के समय धूम्रपान छोड़ने से संबंधित परामर्श दिया जाए। इस दौरान विशेषज्ञ मरीजों को आवश्यक सलाह, उपचार विकल्पों की जानकारी और धूम्रपान छोड़ने के लिए विशेष केंद्रों में रेफ़रल भी प्रदान करते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि धूम्रपान की स्थिति को सही ढंग से दर्ज करने से कैंसर अनुसंधान में अधिक सटीक डेटा उपलब्ध होगा। इससे यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि धूम्रपान करने वाले और न करने वाले मरीजों में उपचार का क्या अंतर है और किस समूह में कौन-सा इलाज ज्यादा प्रभावी है।

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अध्ययन के प्रमुख लेखक ने कहा, “धूम्रपान कैंसर की प्रगति और उपचार के परिणामों पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि हम इस जानकारी को दर्ज नहीं करेंगे, तो क्लिनिकल ट्रायल के निष्कर्ष अधूरे और भ्रामक हो सकते हैं।”

विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि विश्व स्तर पर कैंसर परीक्षणों में धूम्रपान छोड़ने के उपायों को प्रोटोकॉल का हिस्सा बनाया जाए ताकि मरीजों को बेहतर जीवन गुणवत्ता और दीर्घकालिक लाभ मिल सके।

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