दशकों बाद सोमालिया में पहली बार एक व्यक्ति, एक वोट से स्थानीय चुनाव
सोमालिया में 1969 के बाद पहली बार ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ से स्थानीय चुनाव हो रहे हैं। सरकार इसे लोकतंत्र की दिशा में कदम बता रही है, जबकि विपक्ष ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
सोमालिया की राजधानी मोगादिशू के निवासी गुरुवार (25 दिसंबर, 2025) को एक ऐतिहासिक लेकिन विवादित स्थानीय चुनाव में मतदान कर रहे हैं। यह 1969 के बाद देश में पहली बार ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ प्रणाली के तहत हो रहा चुनाव है। विश्लेषकों का कहना है कि यह कबीलाई सत्ता-साझेदारी व्यवस्था से हटकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।
स्थानीय परिषद के सदस्यों के लिए यह मतदान मोगादिशू के 16 जिलों में कराया जा रहा है। चुनाव का आयोजन देश की संघीय सरकार ने किया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे खारिज करते हुए इसे त्रुटिपूर्ण और एकतरफा बताया है। दशकों से सोमालिया में स्थानीय परिषदों और संसद के सदस्यों का चयन कबीलाई बातचीत और समझौतों के जरिए होता रहा है, और बाद में वही नेता राष्ट्रपति का चुनाव करते थे।
2016 के बाद से अलग-अलग सरकारों ने प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली लागू करने का वादा किया, लेकिन असुरक्षा और सरकार तथा विपक्ष के बीच आंतरिक विवादों के कारण इसे बार-बार टाल दिया गया। यह पहला बड़ा चुनाव है, जिसकी निगरानी राष्ट्रीय स्वतंत्र निर्वाचन और सीमांकन आयोग कर रहा है। इसमें करीब 20 राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
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हालांकि, इस चुनाव से मोगादिशू के मेयर का चयन नहीं होगा, जो मध्य बनादिर क्षेत्र के गवर्नर भी होते हैं। यह पद अब भी नियुक्ति के माध्यम से भरा जाता है, क्योंकि राजधानी की संवैधानिक स्थिति पर राष्ट्रीय सहमति नहीं बन पाई है। राष्ट्रपति हसन शेख मोहामुद और जुबालैंड व पंटलैंड राज्यों के नेताओं के बीच संवैधानिक सुधारों को लेकर मतभेद बढ़ते जा रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, मध्य क्षेत्र में 523 मतदान केंद्रों पर 9 लाख से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं। सोमालिया लंबे समय से सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और अल-कायदा से जुड़े अल-शबाब आतंकी संगठन द्वारा राजधानी में हमले किए जाते रहे हैं। ऐसे में चुनाव से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि मोगादिशू में हो रहा यह मतदान देश को कबीलाई व्यवस्था से बाहर निकालने का अब तक का सबसे ठोस प्रयास है। हालांकि विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इस प्रक्रिया का इस्तेमाल सत्ता मजबूत करने और राष्ट्रपति के 2026 में समाप्त होने वाले कार्यकाल को बढ़ाने की जमीन तैयार करने के लिए कर रही है, जिसे सरकार ने सिरे से नकार दिया है।