मेकेदाटु जलाशय परियोजना पर तमिलनाडु की याचिका समय से पहले: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मेकेदाटु जलाशय परियोजना पर तमिलनाडु की याचिका को समय से पहले बताया। अदालत ने कहा कि DPR पर अभी विशेषज्ञों द्वारा विचार किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 नवंबर 2025) को कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी पर मेकेदाटु जलाशय परियोजना को लेकर दायर तमिलनाडु की याचिका को “समय से पहले” (premature) बताते हुए खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्नाटक द्वारा प्रस्तुत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) फिलहाल कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) और कावेरी जल विनियमन समिति (CWRC) के विशेषज्ञों के विचाराधीन है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक DPR पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक इस मामले में हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यदि परियोजना रिपोर्ट को स्वीकृति मिलती है, तो प्रभावित पक्ष, जिनमें तमिलनाडु भी शामिल है, कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठा सकते हैं।”
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तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि कर्नाटक की यह परियोजना कावेरी नदी के जल बंटवारे पर हुए पूर्व समझौते और न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है। उसका तर्क था कि इस परियोजना से तमिलनाडु को मिलने वाला जल प्रभावित हो सकता है।
वहीं, कर्नाटक ने दावा किया कि मेकेदाटु परियोजना का उद्देश्य केवल बेंगलुरु जैसे शहरी इलाकों के लिए पेयजल आपूर्ति को सुदृढ़ करना और जल प्रबंधन में सुधार लाना है, जिससे किसी अन्य राज्य के जल हिस्से पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अब CWMA और CWRC के विशेषज्ञों की रिपोर्ट और तकनीकी मूल्यांकन पर निर्भर करेगा।
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