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टीएमसी विधायक के मस्जिद कार्यक्रम में 3 लाख की भीड़ की तैयारी, सऊदी धर्मगुरु होंगे शामिल

मुर्शिदाबाद में टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर के मस्जिद कार्यक्रम में 3 लाख की भीड़ की तैयारी, सऊदी काज़ियों के शामिल होने की उम्मीद, बिरयानी के 60,000 पैकेट और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूँ कबीर द्वारा प्रस्तावित ‘बाबरी मस्जिद-शैली’ के मस्जिद निर्माण कार्यक्रम की तैयारियाँ शुक्रवार को चरम पर थीं। 6 दिसंबर को होने वाले शिलान्यास समारोह में सऊदी अरब के धर्मगुरुओं के आने की उम्मीद है, जबकि हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं।

कांग्रेस और बीजेपी से होकर टीएमसी में आए कबीर को हाल ही में पार्टी से निलंबित किया गया था, लेकिन वह न तो राजनीतिक विवादों से चिंतित दिखे और न ही प्रशासनिक निगरानी से। उन्होंने कहा कि “करीब 3 लाख लोग शनिवार को मोरादीघी के पास 25 बीघा क्षेत्र में जुटेंगे।” उन्होंने बताया कि कई राज्यों के धार्मिक नेता भी कार्यक्रम में शामिल होंगे, जबकि सऊदी अरब के दो काज़ी विशेष काफिले से कोलकाता एयरपोर्ट से सीधे स्थल पर पहुँचेंगे।

एनएच-12 के पास विशाल स्थल पर तैयारियाँ किसी बड़े राजनीतिक शो की तरह तेज़ी से चल रही हैं। मुर्शिदाबाद की सात कैटरिंग एजेंसियों को भीड़ के लिए शाही बिरयानी बनाने का काम सौंपा गया है। विधायक के एक करीबी सहयोगी के अनुसार 40,000 मेहमानों के लिए और 20,000 स्थानीय लोगों के लिए पैकेट तैयार किए जा रहे हैं, जिससे केवल भोजन पर 30 लाख रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। पूरे कार्यक्रम का बजट 60-70 लाख रुपये तक पहुँच सकता है।

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150 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा मंच, जिसकी लागत लगभग 10 लाख रुपये है, इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण है। भीड़ प्रबंधन के लिए 3,000 स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं, जबकि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद विशेष सुरक्षा योजना बनाई है। करीब 3,000 पुलिसकर्मी बेलडांगा और रानीनगर थानों के क्षेत्र में तैनात रहेंगे ताकि NH-12 पर यातायात बाधित न हो।

कबीर इस आयोजन को क्षेत्र का “ऐतिहासिक क्षण” बताते हुए कहते हैं कि यह भीड़ उनकी लोकप्रियता का संकेत है, चाहे राजनीतिक स्थिति कुछ भी हो। विशाल मंच, बिरयानी की कड़ाही और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह कार्यक्रम न सिर्फ प्रशासनिक क्षमता बल्कि कबीर की राजनीतिक रणनीति की भी बड़ी परीक्षा माना जा रहा है।

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