सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप के वैश्विक टैरिफ खारिज किए तो भी उनके पास रहेंगे कई विकल्प
सुप्रीम कोर्ट टैरिफ खारिज करे तो भी ट्रंप के पास अन्य कानूनी विकल्प रहेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, वे पुराने कानूनों से फिर से शुल्क नीति लागू कर सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि सुप्रीम कोर्ट उनके द्वारा लगाए गए वैश्विक आयात शुल्क (टैरिफ) को रद्द कर देता है, तो संयुक्त राज्य अमेरिका “रक्षाहीन” हो जाएगा और “तीसरी दुनिया के देश” जैसी स्थिति में पहुंच सकता है।
ट्रंप प्रशासन ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेशी नीति की नींव “रेसिप्रोकल टैरिफ” को बनाया है — यानी अधिकांश देशों पर दो अंकों वाले भारी शुल्क लगाए गए हैं। उन्होंने इसका औचित्य यह कहकर दिया कि अमेरिका के लंबे समय से चले आ रहे व्यापार घाटे राष्ट्रीय आपातकाल के समान हैं।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (5 नवंबर 2025) को हुई सुनवाई में न्यायाधीशों ने ट्रंप के इस दावे पर संशय व्यक्त किया कि उन्हें अपनी इच्छा से किसी भी देश पर शुल्क लगाने का असीमित अधिकार है।
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हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोर्ट उनके खिलाफ फैसला भी देता है, तो भी ट्रंप के पास कई वैकल्पिक रास्ते होंगे जिनसे वे आयात पर आक्रामक टैक्स जारी रख सकते हैं। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कैथलीन क्लॉसन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि टैरिफ यहां खत्म होंगे। ट्रंप पुराने कानूनों का उपयोग कर वर्तमान शुल्क ढांचा फिर से बना सकते हैं।”
वकील नील कट्याल ने अदालत में कहा कि 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट (IEEPA) के तहत असीमित अधिकार की जरूरत नहीं है क्योंकि कांग्रेस ने पहले से ही कई कानूनों में राष्ट्रपति को सीमित टैरिफ शक्तियां दी हैं।
येल यूनिवर्सिटी के बजट लैब के अनुसार, अमेरिकी औसत टैरिफ जनवरी 2025 में 2.5% से बढ़कर 17.9% तक पहुंच गया है, जो 1934 के बाद सबसे अधिक है।
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