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ट्रंप का कूटनीतिक बदलाव: अमेरिका फर्स्ट सहयोगियों के लिए लगभग 30 करियर राजनयिकों की जगह नए चेहरे

ट्रंप प्रशासन ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत लगभग 30 करियर राजनयिकों को राजदूत पदों से हटा रहा है, जिससे अमेरिका की वैश्विक कूटनीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन विदेशों में अमेरिका की कूटनीतिक मौजूदगी को नए सिरे से आकार देने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। इसके तहत लगभग 30 करियर राजनयिकों को राजदूत और दूतावासों के अन्य वरिष्ठ पदों से वापस बुलाया जा रहा है और उनकी जगह ऐसे लोगों को नियुक्त किया जाएगा, जिन्हें राष्ट्रपति ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का पूरी तरह समर्थक माना जाता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के दो अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 29 देशों में तैनात अमेरिकी मिशन प्रमुखों को पिछले सप्ताह सूचित कर दिया गया कि उनका कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो जाएगा। आंतरिक प्रशासनिक फैसलों पर चर्चा के लिए नाम न छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि ये सभी राजनयिक जो बाइडन प्रशासन के दौरान अपने पदों पर नियुक्त हुए थे।

हालांकि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में हुए शुरुआती फेरबदल में ये अधिकारी बच गए थे, क्योंकि उस समय मुख्य रूप से राजनीतिक नियुक्तियों को हटाया गया था। लेकिन बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को वॉशिंगटन से नोटिस मिलने के बाद उनकी विदाई लगभग तय हो गई। नियमों के अनुसार, अमेरिकी राजदूत राष्ट्रपति की इच्छा पर सेवा करते हैं और आम तौर पर तीन से चार साल तक अपने पद पर रहते हैं।

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इस फेरबदल से प्रभावित राजनयिक अपनी विदेश सेवा की नौकरी नहीं खो रहे हैं। अधिकारी बताते हैं कि वे चाहें तो वॉशिंगटन लौटकर अन्य जिम्मेदारियां संभाल सकते हैं। विदेश विभाग ने प्रभावित राजदूतों की संख्या या नामों पर टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन इस प्रक्रिया को “हर प्रशासन में अपनाई जाने वाली मानक प्रक्रिया” बताया। विभाग के अनुसार, राजदूत राष्ट्रपति का व्यक्तिगत प्रतिनिधि होता है और राष्ट्रपति का अधिकार है कि वह सुनिश्चित करे कि विदेशों में तैनात अधिकारी ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को आगे बढ़ाएं।

सबसे अधिक असर अफ्रीका पर पड़ा है, जहां 13 देशों—बुरुंडी, कैमरून, केप वर्डे, गैबॉन, आइवरी कोस्ट, मेडागास्कर, मॉरीशस, नाइजर, नाइजीरिया, रवांडा, सेनेगल, सोमालिया और युगांडा—के राजदूत बदले जा रहे हैं। एशिया में छह देशों, यूरोप, मध्य पूर्व, दक्षिण व मध्य एशिया तथा पश्चिमी गोलार्ध के कई देशों में भी बदलाव होंगे।

इन राजदूतों को वापस बुलाए जाने की खबर सबसे पहले ‘पॉलिटिको’ ने दी थी, जिस पर कुछ सांसदों और अमेरिकी राजनयिकों के संघ ने चिंता जताई है।

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