दिल्ली पुलिस ने SC में कहा: उमर खालिद को संविधान का कम सम्मान, सिर्फ जमानत के लिए उद्धृत करते हैं अनुच्छेद 21
दिल्ली पुलिस ने SC में कहा कि उमर खालिद और अन्य आरोपी केवल जमानत के लिए संविधान का हवाला देते हैं; 2020 दंगों में उनकी भूमिका पूर्व नियोजित थी।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (21 नवंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र नेता उमर खालिद और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। ये सभी आरोपी 2020 दिल्ली दंगों के ‘बड़ी साजिश’ मामले में अनलॉ फुल एक्टिविटीज (Prevention) Act के तहत जेल में हैं और अब पांच साल बाद जमानत की मांग कर रहे हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कोर्ट को बताया कि ये आरोपी केवल जमानत पाने के लिए संविधान का हवाला देते हैं। उन्होंने कहा, “ये लोग संविधान का कम सम्मान करते हैं। सिर्फ जमानत के लिए ही ये अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मूल अधिकार) का उल्लेख करते हैं।”
पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपी न्यायिक प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं और मामले में अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने 2020 के दंगों के सीसीटीवी वीडियो प्रस्तुत किए, जिनमें दिखाया गया कि हिंसा पूर्व नियोजित थी।
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एस.वी. राजू ने कोर्ट को यह भी बताया कि मामले में शामिल अन्य आरोपियों की गतिविधियां और योजनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि दंगे केवल अचानक उत्पन्न नहीं हुए थे, बल्कि यह एक सोची-समझी साजिश थी।
दिल्ली पुलिस की दलील थी कि जमानत देने से पहले कोर्ट को इस गंभीर अपराध और आरोपी की मानसिकता को ध्यान में रखना चाहिए। पुलिस ने कहा कि यदि ऐसे आरोपियों को जमानत दी जाती है तो यह कानून और संविधान के मूल उद्देश्य के खिलाफ होगा।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में आगे सुनवाई के लिए आदेश सुरक्षित रखा।
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