संयुक्त राष्ट्र ने चेताया, लगभग 90 करोड़ गरीब लोग जलवायु संकट के प्रति संवेदनशील
संयुक्त राष्ट्र ने चेताया कि लगभग 90 करोड़ गरीब लोग जलवायु संकट से प्रभावित हैं। बढ़ता तापमान गरीब देशों में सबसे अधिक नुकसान और सामाजिक-आर्थिक असमानताएं बढ़ा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर में लगभग 90 करोड़ गरीब लोग जलवायु संकट और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जैसे-जैसे पृथ्वी की सतह तेजी से गर्म हो रही है, स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे गरीब और कमजोर देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
विशेषज्ञों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान, बाढ़, सूखा, और तूफानों जैसी घटनाएं पहले से ही लाखों लोगों की जीवनयात्रा और आजीविका को खतरे में डाल रही हैं। सबसे गरीब देश, जिनके पास जलवायु आपदाओं से निपटने के संसाधन सीमित हैं, उन्हें इन प्राकृतिक आपदाओं का सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी और जलवायु संकट का गहरा संबंध है। गरीब लोग, जो कृषि, छोटे व्यवसाय और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं, अत्यधिक गर्मी, बारिश की असमानता और प्राकृतिक आपदाओं से सीधे प्रभावित होते हैं। इससे उनकी आजीविका खतरे में आती है और खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित होती है।
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संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक समुदाय से तत्काल और प्रभावी उपायों की अपील की है। इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती, सतत विकास, और कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित नहीं किया गया, तो गरीब देशों की परिस्थितियाँ और बिगड़ेंगी और यह सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को और बढ़ाएगा।
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