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जिनपिंग का बयान: चीन में धर्मों को समाजवादी समाज के अनुकूल ढालना होगा

जिनपिंग ने चीन में धर्मों को समाजवादी समाज और चीनी संदर्भ के अनुरूप ढालने की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही सक्रिय मार्गदर्शन की भी बात कही।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि देश में धर्मों को “समाजवादी समाज के और अधिक अनुकूल” बनाने की जरूरत है। यह उनके पहले किए गए बयान का विस्तार है, जिसमें उन्होंने चीन में धर्मों के सिनिकरण (Sinicization) की आवश्यकता पर जोर दिया था।

राज्य संचालित समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने चीन के संदर्भ में धर्मों को ढालने के महत्व पर बल दिया। उनका कहना था कि धर्म केवल व्यक्तिगत विश्वास का मामला नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे समाजवादी मूल्यों और चीनी परंपराओं के अनुरूप ढालना जरूरी है।

शी ने यह टिप्पणी उस समय की जब वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के एक अध्ययन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि धर्मों को सक्रिय मार्गदर्शन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे समाजवादी समाज में सहज रूप से समायोजित हो सकें।

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उनका दृष्टिकोण यह है कि धर्मों का विकास और अभ्यास केवल धार्मिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे राष्ट्रीय और समाजवादी हितों के अनुरूप दिशा दी जानी चाहिए। शी जिनपिंग की यह नीति चीन में धर्मों को नियंत्रित करने और उन्हें सरकार की नीतियों के अनुरूप ढालने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम चीन में धर्मों के अभ्यास पर सरकारी नियंत्रण को और मजबूत करेगा, जबकि धार्मिक संस्थाओं को समाजवादी मूल्यों के अनुसार ढालने पर जोर देगा। यह नीति देश में धार्मिक गतिविधियों को न केवल स्थानीय संस्कृति के अनुरूप बनाएगी, बल्कि उन्हें समाज के लिए लाभकारी रूप में भी प्रस्तुत करेगी।

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