अरुणाचल प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग को लेकर रैली आयोजित
अरुणाचल प्रदेश में इंडिजिनस फेथ एंड कल्चरल सोसाइटी ने रैली निकालकर 1978 के फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट को लागू करने और धर्मांतरण गतिविधियों पर रोक की मांग की।
अरुणाचल प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग को लेकर एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। यह रैली इंडिजिनस फेथ एंड कल्चरल सोसाइटी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (IFCSAP) द्वारा आयोजित की गई, जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
रैली में शामिल प्रतिभागियों ने राज्य सरकार से "फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 1978" को प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की। संगठन का कहना है कि यह कानून राज्य की पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
IFCSAP के नेताओं ने कहा कि बाहरी प्रभावों और संगठित धर्मांतरण गतिविधियों के कारण स्थानीय परंपराओं और जनजातीय आस्थाओं पर खतरा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसे मामलों की गंभीरता से निगरानी करे और धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
और पढ़ें: अरुणाचल और त्रिपुरा में 5,100 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
रैली के दौरान वक्ताओं ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की विविध स्वदेशी धार्मिक परंपराएं, जैसे डोनी-पोलो और अन्य जनजातीय आस्थाएं, सदियों से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक आत्मा रही हैं। उन्होंने जोर दिया कि इन परंपराओं की रक्षा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है।
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि रैली का उद्देश्य किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि राज्य की स्वदेशी आस्था और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए एकजुटता प्रदर्शित करना है।