ऊपरी डोडा में सेना ने ग्रामीणों को दिया आतंक-रोधी प्रशिक्षण, चेनाब घाटी में सुरक्षा सतर्कता बढ़ी
डोडा जिले के ऊपरी इलाकों में सेना ने ग्रामीणों को ग्राम रक्षा प्रहरी के रूप में हथियार संचालन और सुरक्षा प्रशिक्षण दिया, ताकि चेनाब घाटी में संभावित आतंकी हमलों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
जम्मू-कश्मीर के चेनाब घाटी क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों पर बढ़ते फोकस के बीच भारतीय सेना ने ऊपरी डोडा जिले में स्थानीय ग्रामीणों को आतंक-रोधी तैयारियों के तहत विशेष प्रशिक्षण देना शुरू किया है। बुधवार (31 दिसंबर 2025) को सेना ने उन स्थानीय नागरिकों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया, जिन्होंने संभावित आतंकी हमलों से निपटने के लिए ‘ग्राम रक्षा प्रहरी’ (Village Defence Guards – VDGs) के रूप में स्वेच्छा से काम करने की इच्छा जताई है।
अधिकारियों के अनुसार, यह प्रशिक्षण कार्यक्रम डोडा जिले के पहाड़ी और दुर्गम भलेसा क्षेत्र में स्थित 17 गांवों को कवर कर रहा है। ये गांव लगभग 7,705 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, जहां भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षा चुनौतियां अधिक रहती हैं। सेना का उद्देश्य स्थानीय लोगों को आत्मरक्षा और सतर्कता के लिए सक्षम बनाना है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि या आतंकी खतरे की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीणों को उच्च क्षमता वाली राइफलों और सेल्फ-लोडिंग राइफलों के सुरक्षित उपयोग, हैंडलिंग और बुनियादी फायरिंग तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही, उन्हें इलाके में निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और सुरक्षा बलों को समय पर सूचना देने जैसे अहम पहलुओं पर भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
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डोडा जिले में बड़ी संख्या में पुरुषों और महिलाओं ने ग्राम रक्षा प्रहरी के रूप में नामांकन कराया है, जो इस पहल में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। सेना और सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ग्रामीणों की भागीदारी से न केवल सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि आतंकियों के मंसूबों पर भी प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब चेनाब घाटी में सुरक्षा बलों ने सतर्कता बढ़ा दी है और सीमावर्ती व दुर्गम इलाकों में निगरानी को और सख्त किया जा रहा है। सेना का कहना है कि स्थानीय सहयोग से क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
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