नागालैंड में एशिया की सबसे बड़ी कछुआ प्रजाति का पुनर्वास
नागालैंड के सामुदायिक अभयारण्य में एशिया की सबसे बड़ी संकटग्रस्त कछुआ प्रजाति को पुनः बसाया गया। स्थानीय युवाओं को ‘कछुआ संरक्षक’ बनाकर संरक्षण प्रयासों को मजबूत किया गया।
नागालैंड के एक सामुदायिक अभयारण्य में एशिया की सबसे बड़ी कछुआ प्रजाति को फिर से छोड़ा गया है, जिससे विलुप्तप्राय वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह कछुआ, जो कभी नागालैंड में बड़ी संख्या में पाया जाता था, अब गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है।
वन विभाग और स्थानीय समुदायों के संयुक्त प्रयास से इस प्रजाति को सुरक्षित रूप से अभयारण्य में पुनः बसाया गया है। इस पहल के तहत स्थानीय युवाओं को ‘कछुआ संरक्षक’ के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जो कछुओं की निगरानी और सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रजाति का पुनर्वास न केवल पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करेगा, बल्कि नागालैंड की जैव विविधता को भी मजबूत करेगा। कछुए की संख्या में भारी गिरावट का कारण अवैध शिकार और आवास नष्ट होना बताया गया है।
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अधिकारियों का मानना है कि सामुदायिक भागीदारी से वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को गति मिलेगी। इस परियोजना के तहत कछुओं के लिए सुरक्षित जलाशय और घोंसले बनाने का काम भी किया गया है।
स्थानीय ग्रामीणों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह पर्यावरण संरक्षण और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने का अवसर है। संरक्षणवादियों को उम्मीद है कि सामूहिक प्रयासों से आने वाले वर्षों में इस प्रजाति की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
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