बिहार चुनाव: बदलाव की रणनीति से सत्ता विरोधी लहर पर काबू की कोशिश में BJP, लेकिन आसान विकल्प नहीं
बिहार चुनाव 2025 में BJP सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है। 80 सीटों से आगे बढ़कर 100+ का लक्ष्य रखते हुए पार्टी के सामने उम्मीदवार चयन की बड़ी चुनौती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने उम्मीदवारों की सूची तय करने में गहन मंथन कर रही है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) को रोकने की है। वर्तमान में BJP के पास 80 विधायक हैं और इस बार लक्ष्य 100 से अधिक सीटें हासिल करने का है।
हालांकि, चुनावी समीकरण आसान नहीं है। बिहार का राजनीतिक मैदान बेहद भीड़भाड़ वाला है, जहां गठबंधन राजनीति और जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में पार्टी के पास नए चेहरों को मौका देने का जोखिम लेने की सीमित गुंजाइश है। अगर वह अधिक बदलाव करती है तो असंतोष बढ़ सकता है, जबकि पुराने चेहरों को बनाए रखने से सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।
पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि BJP को उम्मीदवार चयन में संतुलन साधना होगा। स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं को प्राथमिकता देने के साथ-साथ कुछ नए और साफ छवि वाले चेहरों को भी आगे लाने की योजना है। इसके अलावा, भाजपा गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
और पढ़ें: बिहार का मतदाता सूची आज प्रकाशित होगी, विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार चुनाव BJP के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि एक ओर वह सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष उसे घेरने की पूरी तैयारी में है।
और पढ़ें: बिहार में NDA को 160 से अधिक सीटें मिलेंगी : अमित शाह