बिहार घोषणापत्र में अनुसूचित जाति समुदाय की समस्याओं को शामिल करें: महासंघ ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया
बिहार के SC महासंघ ने राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने घोषणापत्र में SC समुदाय की समस्याओं और कल्याण के लिए ठोस योजनाओं को शामिल करें।
बिहार में अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के कल्याण और उनके अधिकारों को लेकर चिंता जताई गई है। राज्य के SC महासंघ ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे अपने चुनावी घोषणापत्र में SC समुदाय की समस्याओं और उनकी सामाजिक-आर्थिक उन्नति के लिए ठोस कदम शामिल करें।
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में SC समुदाय राज्य की कुल आबादी का लगभग एक-पांचवां हिस्सा है, लेकिन बावजूद इसके वे आज भी सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर हैं। इस समुदाय को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अन्य सामाजिक सेवाओं में पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं। इससे उनकी सामाजिक स्थिति और जीवन स्तर में सुधार धीमी गति से हो रहा है।
महासंघ ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों को अपने घोषणापत्र में रोजगार सृजन, सरकारी योजनाओं में समान भागीदारी, शिक्षा के अवसरों का विस्तार और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने जैसी नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। महासंघ का कहना है कि SC समुदाय के मुद्दों की उपेक्षा करना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है और इससे समुदाय का शासन तथा राजनीति पर विश्वास कमजोर होगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि SC समुदाय बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। इसलिए, राजनीतिक दलों के लिए यह आवश्यक है कि वे उनके अधिकारों और कल्याण के मुद्दों को गंभीरता से लें और उन्हें प्राथमिकता दें।
महासंघ ने यह भी जोर दिया कि केवल घोषणापत्र में वादे करना पर्याप्त नहीं होगा; इन वादों को वास्तविकता में बदलने के लिए नीति निर्माण और योजनाओं के कार्यान्वयन में SC समुदाय की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।