उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेंगे बीजेडी, बीआरएस और अकाली दल
बीजेडी, बीआरएस और अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाई। परिणाम पर असर नहीं पड़ेगा, राधाकृष्णन के पक्ष में समीकरण साफ, सभी निगाहें शिवसेना (यूबीटी) पर टिकीं।
उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक समीकरणों में नया मोड़ आया है। बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। इन दलों का कहना है कि वे मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन दलों का चुनाव से बाहर रहना नतीजों पर बड़ा असर नहीं डालेगा। मौजूदा अंकगणित स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन के पक्ष में झुका हुआ है। संसद में उनके समर्थन के लिए पर्याप्त संख्या मौजूद है। इसके बावजूद विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ने चुनाव पूर्व रणनीति बैठकों और मॉक पोल का आयोजन किया ताकि अपने-अपने सांसदों की अधिकतम उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।
सत्तारूढ़ दल को विश्वास है कि राधाकृष्णन आसानी से जीत दर्ज करेंगे। वहीं, विपक्षी खेमे ने भी अपने सांसदों को एकजुट करने और उपस्थिति बढ़ाने के लिए अंतिम क्षण तक प्रयास जारी रखे हैं।
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इस बीच सभी की निगाहें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) पर टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस ओर झुकाव दिखाते हैं या फिर तटस्थ रहने का विकल्प अपनाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि हालांकि उनकी संख्या सीमित है, लेकिन राजनीतिक संदेश के लिहाज से उनका फैसला अहम हो सकता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश की राजनीति में चर्चा गर्म है। एक ओर यह साफ संकेत है कि सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है, वहीं विपक्ष की चुनौती मुख्यतः राजनीतिक संदेश देने तक सीमित दिखाई दे रही है।
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