बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकील ओझा के खिलाफ मानहानि मामले में अवमानना कार्यवाही शुरू की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकील ओझा के खिलाफ न्यायाधीश की मानहानि करने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की। उन्हें चार सप्ताह में लिखित जवाब दाखिल करना होगा। अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अधिवक्ता ओझा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की है। अदालत ने यह कदम उस समय उठाया जब यह पाया गया कि उन्होंने एक मौजूदा न्यायाधीश की सार्वजनिक रूप से मानहानि की है। न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता को प्रभावित करने वाले इस कदम को अदालत ने गंभीरता से लिया है।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अधिवक्ता ओझा चार सप्ताह के भीतर एक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, जिसमें यह बताया जाए कि क्यों उनके खिलाफ Contempt of Courts Act (अदालत की अवमानना अधिनियम) के तहत औपचारिक आरोप तय न किए जाएं। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों के खिलाफ बिना आधार और मानहानिकारक बयानबाजी न्यायपालिका की साख को कमजोर करती है और आमजन का विश्वास डगमगा सकती है। इसलिए, ऐसे मामलों को किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ओझा का बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला पाया गया, तो उन्हें दंड का सामना करना पड़ सकता है। अवमानना अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर जुर्माना या जेल की सजा का प्रावधान है।
यह मामला न्यायपालिका और अधिवक्ताओं के बीच जिम्मेदार आचरण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। अदालत ने यह भी दोहराया कि आलोचना लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन निराधार आरोप और मानहानि की श्रेणी में आने वाले बयान न्यायिक व्यवस्था को कमजोर कर सकते हैं।
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