गैरकानूनी होर्डिंग्स पर सख़्त हुआ बॉम्बे हाईकोर्ट, पुलिस-नगर निगम से एफआईआर और वसूले गए जुर्मानों का पूरा ब्योरा मांगा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ दर्ज एफआईआर, लगाए और वसूले गए जुर्मानों का विस्तृत डेटा मांगते हुए अधिकारियों को सक्रिय कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को नगर निगमों और पुलिस विभागों के अधिकारियों को “प्रोएक्टिव” यानी सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, शहर में लगाए जाने वाले अवैध होर्डिंग्स, बैनरों और पोस्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का पूरा डेटा मांगा। अदालत ने पूछा कि अब तक ऐसे अवैध विज्ञापन ढांचों के खिलाफ कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं और दोषियों पर लगाए गए जुर्मानों में से कितना जुर्माना वास्तव में वसूला गया है।
हाईकोर्ट 2017 के उस आदेश के अनुपालन से जुड़े कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था, जिसमें अदालत ने सभी अवैध होर्डिंग्स को हटाने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि संबंधित सरकारी एजेंसियाँ अदालत के आदेशों का ठीक से पालन नहीं कर रही हैं, जिसके कारण शहर में अवैध होर्डिंग्स का सिलसिला जारी है।
अदालत ने पहले भी बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, एमएनएस समेत कई राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करने के लिए लिखित आश्वासन (undertaking) देने को कहा था कि उनकी कोई भी इकाई, कार्यकर्ता या पदाधिकारी अवैध बैनर या होर्डिंग्स नहीं लगाएंगे। अदालत ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल अपने दायित्वों से बच नहीं सकते और उन्हें सार्वजनिक स्थानों को साफ-सुथरा रखने के लिए जिम्मेदारी निभानी होगी।
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हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नगरपालिका और पुलिस अधिकारियों को केवल शिकायतों का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, बल्कि स्वयं पहल करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शहर में अवैध होर्डिंग्स न लगें और लगाए जाने पर तुरंत कार्रवाई हो। अदालत ने अगली सुनवाई में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
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