मुर्शिदाबाद में बाबरी-शैली की मस्जिद के शिलान्यास से पहले हस्तक्षेप से इंकार, कलकत्ता हाईकोर्ट का निर्णय
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में बाबरी-शैली की मस्जिद के शिलान्यास पर रोक की मांग खारिज की। अदालत ने कहा कि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी, जबकि विधायक कबीर विवादों में घिरे हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (5 दिसंबर 2025) को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद-शैली की मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह मस्जिद निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा प्रस्तावित है और इसका शिलान्यास 6 दिसंबर को निर्धारित है—वही तारीख जब अयोध्या की मूल बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया गया था।
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब मस्जिद के शिलान्यास पर रोक लगाने की मांग करते हुए दाखिल एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह समारोह क्षेत्र की साम्प्रदायिक सद्भावना को भंग कर सकता है और स्थिति तनावपूर्ण बना सकता है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पूरी तरह पश्चिम बंगाल सरकार की होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
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याचिका में दावा किया गया कि हुमायूं कबीर ने सामाजिक सामंजस्य को बाधित करने वाले भड़काऊ बयान दिए हैं, जिनसे शांति भंग होने की आशंका है। याचिका में कहा गया, “विधायक द्वारा सोशल मीडिया और यूट्यूब पर अशोभनीय, अपमानजनक और साम्प्रदायिक टिप्पणियां की जा रही हैं, जिससे राज्य और देश की साम्प्रदायिक सद्भावना को खतरा पैदा हो सकता है।”
विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले हुमायूं कबीर को टीएमसी ने गुरुवार को “साम्प्रदायिक राजनीति” करने के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया। निलंबन के तुरंत बाद कबीर ने घोषणा की कि वे विधायक पद से इस्तीफा देंगे और इस महीने के अंत में अपनी नई पार्टी शुरू करेंगे।
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