नागरिकता जांच में केंद्र की शक्ति सीमित: निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
ECI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नागरिकता जांच में केंद्र की भूमिका सीमित है। SIR को आयोग ने संवैधानिक प्रक्रिया बताते हुए विपक्ष के आरोपों को खारिज किया।
निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले में विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा है कि नागरिकता की जांच का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास होने का दावा सही नहीं है। आयोग ने स्पष्ट किया कि केंद्र की भूमिका केवल उन मामलों की जांच तक सीमित है जिनमें भारतीय नागरिक ने स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता हासिल की हो।
ECI ने अदालत में कहा कि विपक्ष द्वारा यह तर्क देना कि केवल केंद्र ही नागरिकता से संबंधित मामलों की जांच कर सकता है, कानून के अनुरूप नहीं है। आयोग ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9 का हवाला दिया, जो विदेशी नागरिकता के स्वैच्छिक अधिग्रहण की स्थिति में भारतीय नागरिकता समाप्त करने से संबंधित है। धारा 9 केंद्र सरकार को यह निर्धारित करने का अधिकार देती है कि किसी भारतीय नागरिक ने विदेशी नागरिकता “कब और कैसे” प्राप्त की।
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक और कानूनी है, जिसका उद्देश्य देश में सटीक और अद्यतन मतदाता सूची बनाए रखना है। ECI का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए मतदाता सूचियों का सही होना अत्यंत आवश्यक है, और SIR इसी उद्देश्य से किया जा रहा है।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि SIR नागरिकता जांच के नाम पर मनमानी कार्रवाई है और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। लेकिन आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा कि SIR केवल मतदाता सूची के सत्यापन की एक वैधानिक प्रक्रिया है और इसका उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं, बल्कि केवल सही रिकॉर्ड तैयार करना है।
ECI ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि SIR को रोकने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि यह संविधान और कानून के दायरे में संचालित किया जा रहा है।
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