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एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े मामले में तथ्यों को छिपाने पर केंद्र सरकार पर जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े मामले में तथ्यों को छिपाने पर केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया और कहा कि सरकार को अदालत के समक्ष सभी तथ्य ईमानदारी से प्रस्तुत करने चाहिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े से जुड़े मामले में तथ्यों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी याचिका दायर करते समय सभी तथ्यों को पूरी सच्चाई और पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करे।

मामला तब सामने आया जब केंद्र ने वानखेड़े के खिलाफ दर्ज कुछ मामलों से संबंधित राहत के लिए याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हुई।

न्यायालय ने इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि किसी भी सरकारी एजेंसी या मंत्रालय से अदालत को गुमराह करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति ने कहा, “केंद्र सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह सर्वोच्च स्तर की ईमानदारी बरते और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश न करे।”

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अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह निर्धारित समय सीमा के भीतर जुर्माने की राशि का भुगतान करे और भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचे। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस तरह की हरकत दोहराती है, तो सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

समीर वानखेड़े का नाम उस समय चर्चा में आया था जब उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में उनके खिलाफ कथित अनियमितताओं के आरोप लगे थे, जिनकी जांच जारी है।

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