जल विवादों में ‘न्यायाधीश’ नहीं, ‘सहायता’ करता है केंद्र: किशन रेड्डी
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि नदी जल विवादों में केंद्र सरकार न्यायाधीश नहीं, बल्कि मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। केंद्र ने दोनों मुख्यमंत्रियों को चर्चा के लिए बुलाया।
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने स्पष्ट किया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच नदी जल विवादों को सुलझाने में केंद्र सरकार न्यायाधीश नहीं, बल्कि मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। उन्होंने यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने पोलावरम-बनाकाचेरला लिंक परियोजना (PBLP) को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चर्चा के लिए बुलाए जाने की जानकारी दी।
रेड्डी ने कहा, “जब दो राज्यों के बीच जल विवाद होते हैं, तो केंद्र सरकार दोनों मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित करती है। हम सहकारी संघवाद (cooperative federalism) का सम्मान करते हैं। बनाकाचेरला परियोजना के मामले में भी हमने यही किया है। इसका उद्देश्य कोई निर्णय सुनाना नहीं है, बल्कि दोनों नेताओं को चर्चा की मेज पर लाकर समाधान निकालने में मदद करना है।”
केंद्र सरकार ने 16 जुलाई को घोषणा की कि वह एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन करेगी, जो एक सप्ताह के भीतर पोलावरम-बनाकाचेरला लिंक परियोजना और अन्य लंबित अंतर-राज्यीय जल विवादों की तकनीकी समीक्षा करेगी।
यह मुद्दा तब उठा जब आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित परियोजना पर तेलंगाना ने आपत्ति जताई, जिसे लेकर दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक और प्रशासनिक तनाव बढ़ गया है। रेड्डी ने यह भी कहा कि सरकार सभी पक्षों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और वार्ता के जरिए समाधान को प्राथमिकता देती है।
यह बयान केंद्र की तटस्थ भूमिका को रेखांकित करता है जो राज्यों के बीच विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए आवश्यक है।