चीन का नया K वीज़ा: विदेशी तकनीकी प्रतिभाओं को आकर्षित करने की रणनीति
चीन ने नया K वीज़ा शुरू किया है, जो विदेशी STEM प्रतिभाओं को बिना नौकरी प्रस्ताव के प्रवेश और काम की अनुमति देता है, पर भाषा और नीतिगत अस्पष्टता बड़ी बाधाएं हैं।
चीन इस सप्ताह अपना नया K वीज़ा कार्यक्रम शुरू कर रहा है, जिसका उद्देश्य विदेशी तकनीकी प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। इसे बीजिंग के लिए अमेरिका के साथ चल रही भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब अमेरिका ने हाल ही में अपनी वीज़ा नीति कड़ी कर दी है।
हालांकि चीन के पास स्थानीय इंजीनियरों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह कार्यक्रम बीजिंग की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके जरिए वह खुद को विदेशी निवेश और प्रतिभा के लिए एक स्वागत योग्य देश के रूप में पेश करना चाहता है। अमेरिका की टैरिफ नीतियों और व्यापारिक तनावों के बीच यह कदम आर्थिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
K वीज़ा, जिसे अगस्त में घोषित किया गया था, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) पृष्ठभूमि वाले युवा विदेशी स्नातकों को बिना नौकरी प्रस्ताव के प्रवेश, निवास और काम करने की अनुमति देगा। यह उन लोगों के लिए आकर्षक विकल्प बन सकता है, जो अमेरिकी H-1B वीज़ा की जटिलताओं से बचना चाहते हैं।
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ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H-1B वीज़ा पर सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर की फीस का प्रस्ताव रखा है, जिससे कई संभावित आवेदकों का रुझान प्रभावित हो सकता है। भारत, जो H-1B वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी है, वहां से कई STEM पेशेवर अब चीन के इस नए विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
हालांकि चुनौतियां भी हैं — K वीज़ा की पात्रता शर्तें अस्पष्ट हैं, वित्तीय प्रोत्साहनों और स्थायी निवास पर स्पष्टता नहीं है, और भाषा बाधा भी एक बड़ी रुकावट है, क्योंकि अधिकांश चीनी तकनीकी कंपनियां मंदारिन में काम करती हैं।
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