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सिविल सोसायटी नेताओं ने सांसदों से उपराष्ट्रपति पद के लिए न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी का समर्थन करने की अपील की

100 से अधिक सिविल सोसायटी नेताओं ने सांसदों से न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति बनाने का समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाएं दबाव में हैं और इन्हें सशक्त करने की जरूरत है।

देशभर के 100 से अधिक सिविल सोसायटी नेताओं ने सांसदों से अपील की है कि वे उपराष्ट्रपति पद के लिए न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी का समर्थन करें। उनका कहना है कि बीते एक दशक में देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गंभीर दबाव पड़ा है, ऐसे में न्यायपालिका से जुड़े अनुभवी और निष्पक्ष व्यक्ति का उपराष्ट्रपति पद पर आना लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है।

इस सामूहिक अपील पर शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किए हैं। नेताओं का कहना है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती केवल औपचारिक चुनाव प्रक्रिया से नहीं, बल्कि उन पदों पर आसीन व्यक्तियों की प्रतिबद्धता और ईमानदारी से सुनिश्चित होती है।

सिविल सोसायटी नेताओं ने अपने बयान में कहा कि न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी का अनुभव और उनकी न्यायप्रियता उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, बल्कि वे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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उनका मानना है कि पिछले वर्षों में संसद और अन्य संस्थानों के कामकाज पर कई तरह की चुनौतियां आई हैं, जिनमें सत्ता का केंद्रीकरण, असहमति की आवाज़ों का दबना और पारदर्शिता की कमी प्रमुख हैं। इस स्थिति में न्यायमूर्ति रेड्डी जैसे व्यक्तित्व का समर्थन करना लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती के लिए अहम होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, सिविल सोसायटी की यह पहल केवल एक व्यक्ति का समर्थन नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संस्थागत संतुलन को सुरक्षित करने की सामूहिक अपील है।

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