सीजेआई ने भगवान विष्णु प्रतिमा पर टिप्पणी को लेकर तोड़ी चुप्पी, कहा- मैं सच्चे धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूं
भगवान विष्णु प्रतिमा पर टिप्पणी विवाद पर सीजेआई ने कहा कि बयान संदर्भ से बाहर लिया गया। उन्होंने खुद को ‘‘सच्चा धर्मनिरपेक्ष’’ बताते हुए कहा, न्यायालय संरक्षित स्मारक क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने भगवान विष्णु की प्रतिमा को लेकर अपनी टिप्पणी पर उठे विवाद और 48 घंटे तक सोशल मीडिया पर हुई नाराजगी के बाद चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को संदर्भ से बाहर पेश किया गया, जबकि उनका वास्तविक आशय केवल यह बताना था कि न्यायालय किसी संरक्षित स्मारक क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि वे ‘‘सच्चे धर्मनिरपेक्षता’’ में विश्वास करते हैं, जहां सभी धर्मों और आस्थाओं को समान दृष्टि से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का दायित्व है कि वह निष्पक्ष रहते हुए संविधान के मूल्यों की रक्षा करे और धार्मिक विवादों को सामाजिक समरसता के दायरे में संतुलित करे।
गौरतलब है कि खजुराहो मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई की मौखिक टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया था। कुछ धार्मिक संगठनों और व्यक्तियों ने इसे हिंदू आस्था का मजाक बताया, जिससे सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। इसके बाद मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया।
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सीजेआई गवई ने कहा कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य किसी धर्म की भावनाओं को आहत करना नहीं था, बल्कि केवल कानूनी सीमा का संकेत देना था। उन्होंने भरोसा जताया कि जनता न्यायपालिका की निष्पक्षता और उसकी जिम्मेदारी पर विश्वास बनाए रखेगी।
इस बयान के साथ सीजेआई ने यह साफ कर दिया कि न्यायपालिका संविधानसम्मत ढंग से काम करती है और धार्मिक आस्थाओं के सम्मान को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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