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कोयला खदानों के संचालन में तेजी: कोयला मंत्रालय ने सीसीओ की मंजूरी की अनिवार्यता खत्म की

कोयला मंत्रालय ने नए नियम अधिसूचित कर कोयला खदान खोलने और पुनः संचालन के लिए सीसीओ की मंजूरी खत्म की, जिससे उत्पादन प्रक्रिया तेज और अधिक प्रभावी होगी।

कोयला उत्पादन को तेज करने और मंजूरी प्रक्रिया को अधिक सरल व प्रभावी बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कोयला मंत्रालय ने शुक्रवार को ऐसे नए नियम अधिसूचित किए हैं, जिनके तहत अब कोयला खदान खोलने, किसी खदान की अलग-अलग परतों (सीम) या किसी सीम के हिस्से के संचालन के लिए कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन (CCO) की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।

मंत्रालय के अनुसार, इन नए नियमों के लागू होने से किसी कोयला खदान को परिचालन में लाने की प्रक्रिया में लगने वाला समय करीब दो महीने तक कम हो सकता है। सरकार का मानना है कि इससे कोयला उत्पादन में तेजी आएगी और ऊर्जा क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।

अधिसूचित संशोधन के तहत अब संबंधित कोयला कंपनी के बोर्ड को ही आवश्यक अनुमतियां देने का अधिकार सौंपा गया है। यानी, खदान शुरू करने या दोबारा चालू करने से जुड़े फैसले कंपनी के बोर्ड स्तर पर ही लिए जा सकेंगे। यह प्रावधान उन खदानों पर भी लागू होगा, जो 180 दिन या उससे अधिक समय तक बंद रही हैं और जिनके पुनः संचालन के लिए पहले सीसीओ की अनुमति जरूरी होती थी।

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सरकार का कहना है कि यह सुधार प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के साथ-साथ अनावश्यक देरी को भी खत्म करेगा। इससे कोयला कंपनियों को संचालन में अधिक स्वायत्तता मिलेगी और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा।

कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” को बढ़ावा देने की दिशा में है और इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। भारत में कोयला अब भी बिजली उत्पादन का प्रमुख स्रोत है, ऐसे में उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति को सुचारु रखने के लिए यह फैसला अहम माना जा रहा है।

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