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तमिलनाडु के कर्ज पर कांग्रेस नेता की टिप्पणी से मचा सियासी घमासान, सहयोगी डीएमके नाराज़

तमिलनाडु के कर्ज को लेकर कांग्रेस नेता प्रवीन चक्रवर्ती की टिप्पणी से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। सहयोगी डीएमके नाराज़ है, जबकि भाजपा ने मुद्दे को चुनावी हथियार बना लिया।

तमिलनाडु के कर्ज स्तर को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की टिप्पणी ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद इसलिए भी अहम है क्योंकि कांग्रेस राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सहयोगी है।

कांग्रेस के पेशेवर प्रकोष्ठ के प्रमुख प्रवीन चक्रवर्ती ने The Indian Witness पर दावा किया कि तमिलनाडु पर देश के सभी राज्यों से सबसे अधिक बकाया कर्ज है। उन्होंने राज्य की कर्ज स्थिति को “चिंताजनक” बताते हुए कहा कि ब्याज भुगतान देश में तीसरे स्थान पर है और कर्ज-से-जीडीपी अनुपात भी काफी ऊंचा है। चक्रवर्ती की यह टिप्पणी डीएमके सांसद कनिमोझी के उस बयान के जवाब में आई थी, जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार की सराहना करते हुए तमिलनाडु को “उन्नत और विकसित राज्य” बताया था।

समस्या यह है कि कांग्रेस और डीएमके ने 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है। ऐसे में सहयोगी पार्टी की आलोचना ने राजनीतिक असहजता बढ़ा दी। डीएमके के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा ने इस टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि निजी एजेंडा रखने वालों पर ध्यान न दिया जाए और राज्य के विकास को रोकने वालों के खिलाफ लड़ाई पर फोकस किया जाए।

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पूर्व राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने भी चक्रवर्ती पर डर फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य का कर्ज पूंजी निवेश और संपत्ति निर्माण के लिए लिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था 39 प्रतिशत बढ़ी है।

कांग्रेस ने भी अपने सहयोगी के समर्थन में बयान दिए। पार्टी सांसद जोतिमणि ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की तुलना को अनुचित बताते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक न्याय में तमिलनाडु की उपलब्धियां गिनाईं।

वहीं भाजपा ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर “सेल्फ गोल” करने का आरोप लगाया और डीएमके सरकार को विफल करार दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद चुनाव से पहले कांग्रेस-डीएमके रिश्तों पर असर डाल सकता है।

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