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संविधान पर संकट, लोकतंत्र में कमी: इंडिया ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी

सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि संविधान चुनौती में है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। संसद में बहस जरूरी है, लेकिन व्यवधान स्थायी प्रक्रिया नहीं बनने चाहिए।

इंडिया ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि देश का संविधान चुनौती के दौर से गुजर रहा है और लोकतंत्र में स्पष्ट रूप से कमी दिखाई दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद में व्यवधान लोकतंत्र का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन वे कभी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्थायी अंग नहीं बनने चाहिए।

सुदर्शन रेड्डी ने  पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं और लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा करना हर राजनीतिक दल और नागरिक की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, “संसद में बहस और टकराव लोकतंत्र को जीवंत बनाते हैं, लेकिन जब व्यवधान ही कार्यप्रणाली का हिस्सा बन जाएं, तो यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज की परिस्थितियों में विपक्ष की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज उठाए।

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सुदर्शन रेड्डी ने भारत के भविष्य को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि संविधान की जड़ों को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध होना चाहिए। उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे प्रयासों को पहचानें और लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक सरकार की नीतियों और संसद के कामकाज को लेकर लगातार हमलावर हैं।

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