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भ्रष्टाचार कानून की धारा ईमानदार अफसरों को सुरक्षा देती है, बेईमानों को सजा सुनिश्चित करती है: केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में बयान

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भ्रष्टाचार कानून ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करता है और भ्रष्ट अधिकारियों को सजा सुनिश्चित करता है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में विस्तृत जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून (Prevention of Corruption Act) की प्रावधानें ईमानदार अधिकारियों को सुरक्षा देती हैं और बेईमान अधिकारियों को सजा सुनिश्चित करती हैं। सरकार ने यह बयान उन याचिकाओं के जवाब में दिया, जिनमें आरोप लगाया गया था कि भ्रष्टाचार कानून का दुरुपयोग कर अधिकारियों को परेशान किया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि कानून में किए गए संशोधनों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईमानदार अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए अनावश्यक रूप से फंसाया न जाए। उन्होंने कहा कि “यह प्रावधान निष्पक्ष प्रशासन और जवाबदेही दोनों को संतुलित करता है। जो अधिकारी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं उन्हें सुरक्षा मिलती है, जबकि जो भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं उन्हें सख्त सजा का सामना करना पड़ता है।”

सरकार ने यह भी कहा कि कानून में बिना उचित मंजूरी के किसी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू नहीं की जा सकती, जिससे मनमाने ढंग से कार्रवाई पर रोक लगाई जा सके। साथ ही, भ्रष्टाचार साबित होने पर कठोर दंड और सजा का प्रावधान भी बरकरार है।

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याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि यह प्रावधान जांच एजेंसियों को कमजोर कर रहा है और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम कर रहा है। हालांकि, केंद्र ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह धाराएं केवल प्रशासनिक दक्षता और ईमानदार अधिकारियों के मनोबल को बनाए रखने के लिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर सरकार से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

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