माओवादी विद्रोह कमजोर पड़ने के संकेत: रिकॉर्ड मौतें, गिरफ्तारियां और आत्मसमर्पण
2025 में माओवादी हिंसा में गिरावट दर्ज हुई है। आत्मसमर्पण, गिरफ्तारियों और मारे गए उग्रवादियों की रिकॉर्ड संख्या से विद्रोह के कमजोर पड़ने के संकेत मिले हैं।
भारत में दशकों से चली आ रही माओवादी हिंसा अब तेजी से कमजोर होती जा रही है। हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान अत्यधिक सफल रहे हैं। इस वर्ष मारे गए, गिरफ्तार किए गए और आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की संख्या ने रिकॉर्ड स्तर छू लिया है।
2025 में अब तक कुल 1,849 माओवादी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह संख्या वर्ष 2000 के बाद तीसरी सबसे बड़ी है, जिसे केवल 2016 और 2022 के आंकड़े ही पार करते हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, यह रुझान संकेत देता है कि नक्सली संगठन अब अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बीते कुछ वर्षों में माओवादी हिंसा का भौगोलिक दायरा काफी घटा है। जहां एक समय यह समस्या लगभग 90 जिलों में फैली हुई थी, अब यह घटकर करीब 40 जिलों तक सीमित रह गई है। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे पारंपरिक नक्सल प्रभावित राज्यों में भी हिंसक घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की पुनर्वास नीति, आधारभूत विकास योजनाएं और सुरक्षाबलों की आक्रामक रणनीति ने मिलकर इस बदलाव को संभव बनाया है। साथ ही, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयासों ने भी सकारात्मक परिणाम दिए हैं।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि भारत की माओवादी चुनौती अब अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है और देश नक्सलवाद-मुक्त भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
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