प्रदर्शन आयोजित करना या उसमें भाग लेना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट में शादाब अहमद के वकील की दलील
सुप्रीम कोर्ट में वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि प्रदर्शन आयोजित करना अपराध नहीं है। शादाब अहमद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं, सुनवाई 10 नवंबर को जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर 2025) को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान आरोपी शादाब अहमद के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क दिया कि “प्रदर्शन आयोजित करना या उसमें भाग लेना कोई अपराध नहीं है।”
शादाब अहमद को 6 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और बाद में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपित किया गया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि शादाब ने चांदबाग में मुख्य सड़क को अवरुद्ध किया और 24 फरवरी 2020 को भारत बंद के दौरान महिलाओं का समर्थन किया। इस पर लूथरा ने सवाल उठाया कि ऐसी गतिविधियों को आपराधिक कैसे माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास केवल दो “संरक्षित गवाह” हैं — जिनके कोडनेम "रेडियम" और "सोडियम" रखे गए हैं। व्यंग्य करते हुए लूथरा बोले, “रेडियम और सोडियम खतरनाक रसायन हैं,” जिस पर न्यायमूर्ति कुमार ने कहा, “कभी-कभी खतरनाक चीजें भी अच्छे कार्य के लिए उपयोग होती हैं।”
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लूथरा ने बताया कि पुलिस ने उनके मुवक्किल का नाम केवल दूसरी पूरक चार्जशीट में जोड़ा और उसके खिलाफ सबूत मुख्यतः पुलिस गवाहों पर आधारित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शादाब किसी ऑनलाइन चैट ग्रुप में शामिल नहीं थे, और पुलिस ने केवल एक धुंधली तस्वीर दिखाई जो दिल्ली प्रोटेस्ट सॉलिडेरिटी ग्रुप की थी।
उन्होंने यह भी कहा कि शादाब अहमद का मामला पंजाब के गुरविंदर सिंह केस से भिन्न है, जिसमें अदालत ने कहा था कि “सिर्फ मुकदमे में देरी” को जमानत का आधार नहीं बनाया जा सकता।
सुनवाई अब 10 नवंबर 2025 को जारी रहेगी।
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