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नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को डेरिक ओब्रायन की सलाह – नोटिस स्वीकार करें, विपक्ष की आवाज़ न दबाएँ

टीएमसी सांसद डेरिक ओब्रायन ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को सुझाव दिए कि वे संसदीय जवाबदेही को प्राथमिकता दें, नोटिस स्वीकार करें और विपक्ष की आवाज़ को दबाने से बचें।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद डेरिक ब्रायन ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति आर. राधाकृष्णन को संसदीय कार्यवाही को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी नई जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए ओ’ब्रायन ने जोर दिया कि विपक्ष की आवाज़ को सम्मान मिलना चाहिए और नोटिसों को गंभीरता से स्वीकार करना चाहिए।

डेरिक ओब्रायन ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद केवल संवैधानिक गरिमा का प्रतीक नहीं, बल्कि संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की भी जिम्मेदारी निभाता है। उन्होंने कहा, संसद में विपक्ष की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। सभापति का दायित्व है कि वह सुनिश्चित करें कि कोई भी विपक्षी नोटिस दरकिनार किया जाए और विपक्ष की आवाज़ को दबाया जाए।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि संसदीय कार्यवाही के दौरान जवाबदेही और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके अलावा, समितियों के कामकाज को मजबूत करने और सांसदों को स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने का अवसर देने की भी अपील की।

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टीएमसी सांसद ने कहा कि हाल के वर्षों में विपक्ष को नोटिस स्वीकार न किए जाने और चर्चाओं को सीमित करने जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति से उम्मीद की जाती है कि वे इस प्रवृत्ति को बदलेंगे और सदन को सभी पक्षों के लिए संतुलित बनाएंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि उपराष्ट्रपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती संसदीय बहसों को संतुलित रखना और सदन में बढ़ते टकराव को कम करना होगा। ओ’ब्रायन के ये सुझाव विपक्ष की उस चिंता को दर्शाते हैं जो संसद में उनके अधिकार और भागीदारी को लेकर लगातार उठती रही है।

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