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डीएमके ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को दी चुनौती, कहा – मतदाताओं के राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन

डीएमके ने 12 राज्यों में चुनाव आयोग की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को मनमाना बताते हुए कहा कि यह मतदाताओं के अधिकारों का हनन और लोकतंत्र के लिए खतरा है।

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने चुनाव आयोग (ECI) द्वारा 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विस्तार को अदालत में चुनौती दी है। पार्टी ने कहा है कि यह अभ्यास “मनमाना, अनुचित और गैरकानूनी” है तथा यह मतदाताओं के राजनीतिक अभिव्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

डीएमके ने दावा किया कि चुनाव आयोग द्वारा की जा रही यह प्रक्रिया मतदाता अधिकारों को कमजोर करती है और निष्पक्ष चुनावों की मूल भावना को खतरे में डालती है। पार्टी ने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्यवाही से कई मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं, जिससे वे मतदान के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

डीएमके के संगठन सचिव आर.एस. भारती ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं एन.आर. इलंगो और अमित आनंद तिवारी के माध्यम से यह याचिका दाखिल की। उन्होंने विशेष रूप से बिहार में इस संशोधन प्रक्रिया के संचालन के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका दूसरा चरण “भ्रम, अनिश्चितता और बड़ी संख्या में मतदाताओं के अधिकारों से वंचित होने” की स्थिति पैदा करेगा।

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पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मतदाता सूची का संशोधन पारदर्शी, निष्पक्ष और विधिसम्मत तरीके से किया जाए, ताकि किसी भी मतदाता को जानबूझकर सूची से न हटाया जाए। डीएमके का यह कदम मतदाता अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की रक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है।

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