भारत के निर्यात को नई उड़ान: कैबिनेट ने ₹25,060 करोड़ के निर्यात प्रोत्साहन मिशन को दी मंजूरी
कैबिनेट ने ₹25,060 करोड़ के निर्यात प्रोत्साहन मिशन को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य MSMEs और श्रम-प्रधान क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर भारत के निर्यात को सशक्त बनाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ₹25,060 करोड़ के निर्यात प्रोत्साहन मिशन (Export Promotion Mission – EPM) को मंजूरी दी गई। यह महत्वाकांक्षी पहल वित्त वर्ष 2025–26 से 2030–31 की अवधि के लिए भारत के निर्यात ढांचे को सशक्त करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
EPM की घोषणा सबसे पहले केंद्रीय बजट 2025–26 में की गई थी। इसका लक्ष्य भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs), नए निर्यातकों और श्रम-प्रधान उद्योगों के लिए। यह मिशन विभिन्न बिखरी योजनाओं को एकीकृत कर एक परिणाम-उन्मुख, तकनीक-आधारित और लचीला ढांचा तैयार करेगा जो वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामना कर सके।
मिशन के अंतर्गत दो उप-योजनाएँ लागू की जाएंगी — ‘निर्यात प्रोत्साहन (Niryat Protsahan)’ और ‘निर्यात दिशा (Niryat Disha)’। ‘निर्यात प्रोत्साहन’ के तहत MSMEs को सस्ती व्यापारिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें ब्याज सहायता, एक्सपोर्ट फैक्टरिंग और गारंटी जैसी सुविधाएँ शामिल होंगी। वहीं ‘निर्यात दिशा’ गैर-वित्तीय सहयोग जैसे गुणवत्ता सुधार, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, ट्रेड फेयर, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स पर केंद्रित होगी।
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EPM के तहत ब्याज समानिकरण योजना (Interest Equalisation Scheme) और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (Market Access Initiative) जैसी प्रमुख योजनाओं को भी एकीकृत किया गया है ताकि वर्तमान व्यापार प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य हो सके।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, यह मिशन वस्त्र, चमड़ा, रत्न-ज्वेलरी, इंजीनियरिंग और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगा, जो हालिया वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित हुए हैं। डीजीएफटी (DGFT) इस मिशन की नोडल एजेंसी होगी और एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सभी आवेदनों और वितरणों का संचालन करेगी।
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