शुल्क विनियमन विधेयक में ऑडिट प्रावधानों की अनदेखी, स्कूलों को लाभ: आतिशी
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने कहा कि शुल्क विनियमन विधेयक में वित्तीय ऑडिट का उल्लेख नहीं है, जिससे यह अभिभावकों के बजाय निजी स्कूलों के हित में है।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि हाल ही में प्रस्तावित शुल्क विनियमन विधेयक अभिभावकों के बजाय निजी स्कूलों के हित में है, क्योंकि इसमें वित्तीय ऑडिट का कोई प्रावधान शामिल नहीं किया गया है। उनके अनुसार, यह विधेयक स्कूलों को अधिक स्वतंत्रता देता है, जिससे वे शुल्क में मनमाने तरीके से बढ़ोतरी कर सकते हैं और इसकी जवाबदेही तय करना कठिन हो जाएगा।
आतिशी ने याद दिलाया कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने 2015 में स्कूल शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक तैयार किया था। उस विधेयक में यह स्पष्ट प्रावधान था कि सभी निजी स्कूलों को अपने वित्तीय खातों का नियमित ऑडिट कराना होगा और शुल्क वृद्धि से पहले ठोस कारण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। यह विधेयक केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।
आतिशी का कहना है कि वर्तमान विधेयक में वित्तीय ऑडिट जैसे पारदर्शिता बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कदमों को हटाकर, निजी स्कूलों को बिना जांच-पड़ताल के शुल्क बढ़ाने की छूट दी गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक इसी रूप में लागू होता है, तो इसका सीधा असर अभिभावकों पर पड़ेगा और शिक्षा की लागत में भारी वृद्धि हो सकती है।
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उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से अपील की कि शिक्षा को सुलभ और पारदर्शी बनाए रखने के लिए शुल्क विनियमन कानून में वित्तीय ऑडिट की अनिवार्यता और सख्त निगरानी जैसे प्रावधान जोड़े जाएं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिना वित्तीय ऑडिट और जवाबदेही के, निजी शिक्षा क्षेत्र में असमानता और शोषण की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए ऐसे कानूनों का उद्देश्य केवल संस्थानों की नहीं, बल्कि विद्यार्थियों और अभिभावकों की भलाई होना चाहिए।
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