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उर्वरक कंपनियों की मनमानी पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, 5,371 लाइसेंस रद्द

सरकार ने अप्रैल-नवंबर 2025 के बीच ब्लैक मार्केटिंग, जमाखोरी और घटिया गुणवत्ता के मामलों में 5,371 उर्वरक लाइसेंस रद्द किए। आपूर्ति की रियल-टाइम मॉनिटरिंग और सख्त कार्रवाई जारी है।

केंद्र सरकार ने अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच उर्वरक कंपनियों की गड़बड़ियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 5,371 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि काले बाज़ारी, जमाखोरी, घटिया गुणवत्ता और उर्वरक के गलत इस्तेमाल (डायवर्ज़न) जैसे मामलों में राज्यों के साथ-साथ केंद्र ने भी सख्त कदम उठाए हैं।

मंत्री ने बताया कि राज्यों को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत भी जांच और कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ ब्लैक मार्केटिंग के मामलों में 1 अप्रैल से 28 नवंबर 2025 तक 5,058 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 442 मामले दर्ज हुए और 3,732 लाइसेंस रद्द किए गए।

जमाखोरी के मामलों में 687 नोटिस, 202 लाइसेंस रद्द और 446 एफआईआर दर्ज हुईं। घटिया उर्वरक वितरण के मामलों में 3,811 नोटिस भेजे गए, 1,437 लाइसेंस रद्द और 65 एफआईआर दर्ज की गईं। वहीं, डायवर्ज़न के मामलों में 3,058 नोटिस, 464 लाइसेंस रद्द और 96 एफआईआर दर्ज हुईं।

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कुल मिलाकर पिछले सात महीनों में 12,814 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और 5,835 लाइसेंस रद्द किए गए हैं। नड्डा ने कहा कि केंद्र ने सभी राज्यों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराए हैं और इनकी आपूर्ति को इंटीग्रेटेड फर्टिलाइज़र मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से रियल-टाइम में मॉनिटर किया जाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ किसान अपनी आवश्यकता से अधिक उर्वरक खरीद लेते हैं, जिससे जमाखोरी बढ़ती है। इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकारों को अधिक सहयोग देना होगा। भाजपा सांसद किरण चौधरी ने इस बात पर चिंता जताई कि किसानों पर अतिरिक्त उत्पाद खरीदने का दबाव डाला जाता है, जिससे वित्तीय बोझ बढ़ता है। इस पर नड्डा ने कहा कि मंत्रालय इस मुद्दे पर कंपनियों और डीलरों से बातचीत करेगा ताकि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।

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