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भारतीय थलसेना को मिला अपाचे हेलीकॉप्टरों का पहला जत्था, पश्चिमी सीमा पर बढ़ेगी मारक क्षमता

अमेरिका से मिले पहले तीन अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर भारत पहुंच चुके हैं। इनकी तैनाती जोधपुर में होगी, जिससे थलसेना की पश्चिमी सीमा पर आक्रमण क्षमता में भारी इज़ाफा होगा।

भारतीय सेना के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि अमेरिका से अत्याधुनिक अपाचे AH-64E लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की पहली खेप भारत पहुंच गई है। पहले चरण में तीन हेलीकॉप्टर भारत आए हैं, जिन्हें राजस्थान के जोधपुर स्थित पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा।

इन ‘हवा में टैंक’ कहे जाने वाले हेलीकॉप्टरों से भारतीय थलसेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इससे पहले भारतीय वायुसेना के पास ही अपाचे हेलीकॉप्टर थे, लेकिन अब थलसेना को भी इन अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है।

जोधपुर में 15 महीने पहले थलसेना का पहला अपाचे स्क्वाड्रन स्थापित किया गया था, और अब इनकी तैनाती से पश्चिमी मोर्चे की सुरक्षा और आक्रामकता दोनों मजबूत होंगी।

यह डिलीवरी भारत और अमेरिका के बीच हुए एक बड़े रक्षा समझौते का हिस्सा है, जिसकी कुल लागत 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। एक अपाचे हेलीकॉप्टर की कीमत करीब 860 करोड़ रुपये बताई गई है।

इससे पहले भारतीय वायुसेना के लिए अमेरिका ने 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की थी। वर्ष 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान छह और हेलीकॉप्टरों की खरीद पर समझौता हुआ था।

हालांकि इनकी डिलीवरी तय समय से एक साल पीछे हुई है, लेकिन बाकी बचे तीन हेलीकॉप्टरों के नवंबर तक भारत पहुंचने की उम्मीद है। इससे सेना की सामरिक तैयारियों को और गति मिलेगी।

 
 
 
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