गाज़ा में भूख की त्रासदी: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने खोली जंग की भयावह तस्वीर
संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट ने गाज़ा में मानवीय अकाल का खुलासा किया। इज़राइल पर भूख को हथियार बनाने के आरोप लगे। लाखों लोग कुपोषण और भूख का सामना कर रहे हैं, हालात और बिगड़ने की आशंका।
गाज़ा में लगभग दो साल से जारी जंग ने लाखों लोगों के जीवन को गहरी त्रासदी में धकेल दिया है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित पहल की एक रिपोर्ट ने अगस्त में खुलासा किया कि इज़राइल की कार्रवाई ने गाज़ा के कई हिस्सों को “मानव निर्मित अकाल” की ओर धकेल दिया है। इस रिपोर्ट ने दुनिया भर में आलोचना को और तेज किया और कई देशों को फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देने पर मजबूर किया। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर के अंत तक गाज़ा की एक तिहाई आबादी भुखमरी की स्थिति में पहुँच सकती है।
गाज़ा गवर्नरेट, जो सबसे बड़ा प्रशासनिक क्षेत्र है, वहां आधे मिलियन से अधिक लोग भूख, गरीबी और मौत के चक्र में फंसे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि गाज़ा सिटी पर इज़राइली हमलों ने राहत कार्यों को लगभग पंगु कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य अधिकारों के विशेष प्रतिवेदक माइकल फाखरी ने इज़राइल पर आरोप लगाया कि वह भोजन और सहायता को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उनके अनुसार, इज़राइल ने “सबसे संगठित भूख मशीन” खड़ी की है, जिससे फिलिस्तीनियों को कमजोर, अपमानित और विस्थापित किया जा रहा है। वहीं, इज़राइल ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह “हामास के पक्षपाती आंकड़ों” पर आधारित है और उनका कोई भुखमरी नीति नहीं है।
इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी प्रतिक्रिया पैदा की। अमेरिकी सीनेटर क्रिस वैन होलन और जेफ़ मर्कली ने गाज़ा का दौरा करने के बाद आरोप लगाया कि नेतन्याहू सरकार जानबूझकर फिलिस्तीनियों को असहनीय परिस्थितियों में धकेल रही है। संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी के अधिकारी सैम रोज़ ने कहा कि इज़राइल गाज़ा में प्रवेश करने वाले हर ट्रक, हर खाद्य सामग्री और यहां तक कि हर कैलोरी को नियंत्रित करता है। इस बीच, गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने 1 अक्टूबर को बताया कि 455 लोग, जिनमें 151 बच्चे शामिल हैं, कुपोषण और भूख से मर चुके हैं।
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आगे की स्थिति और भी चिंताजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के अंत तक अकाल का खतरा मध्य और दक्षिणी गाज़ा में भी फैल सकता है, जिससे 6 लाख 41 हजार लोग प्रभावित होंगे। जून 2026 तक पांच साल से कम उम्र के 1,32,000 बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। वहीं, इज़राइल का दावा है कि उसने गाज़ा में सहायता भेजने की प्रक्रिया तेज की है और पर्याप्त कैलोरी भेजी जा रही है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि वहां लोगों को प्रतिदिन केवल 1,400 कैलोरी मिल पा रही है, जबकि एक इंसान के जीवित रहने के लिए 2,300 कैलोरी जरूरी है। इस विरोधाभास ने पूरे संकट पर और सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह स्पष्ट है कि गाज़ा की मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। संयुक्त राष्ट्र और सहायता एजेंसियां कह रही हैं कि प्रशासनिक रुकावटें, युद्ध और ढांचा नष्ट होने से राहत पहुंचाना लगभग नामुमकिन हो गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस संकट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। लेकिन जब तक युद्ध रुकता नहीं और राहत कार्यों में पारदर्शिता और सहयोग नहीं बढ़ता, गाज़ा की जनता भूख, बीमारी और मौत से जूझती रहेगी।
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