फिलॉसफी की ओर लौटती जनरेशन Z: असली विकल्पों की तलाश में
डिजिटल अराजकता और जीवन की अनिश्चितताओं के बीच, जनरेशन Z पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर दर्शन की ओर झुकाव दिखा रही है, जो उन्हें आंतरिक स्थिरता और असली विकल्प चुनने में मदद करता है।
जनरेशन Z, जो 1997 से 2012 के बीच जन्मी है, अक्सर अपने निर्णयों, व्यवहार और सोशल मीडिया पर 'स्टेयर ट्रेंड' जैसी चीज़ों को लेकर आलोचना का सामना करती है। लेकिन मुंबई के न्यू अकॉपोलिस स्कूल ऑफ प्रैक्टिकल फिलॉसफी का कहना है कि यही पीढ़ी पहले से कहीं ज़्यादा असली और अर्थपूर्ण विकल्पों की ओर बढ़ रही है।
त्रिश्या स्क्रूवाला, जो न्यू अकॉपोलिस इंडिया की मुंबई शाखा की पब्लिक रिलेशन प्रमुख और प्रशिक्षक हैं, कहती हैं, “आज की युवा पीढ़ी पारंपरिक उपलब्धियों से ज़्यादा अपने निर्णयों के पीछे एक आंतरिक मार्गदर्शक तलाश रही है।”
मुंबई में पिछले 18 वर्षों से सक्रिय न्यू अकॉपोलिस स्कूल हाल ही में बैलार्ड एस्टेट में एक बड़े सेंटर के रूप में खुला है। यह संस्था 50 से अधिक देशों में मौजूद है और दर्शन को व्यावहारिक जीवन से जोड़कर सिखाने का प्रयास करती है।
कभी माना जाता था कि दर्शन बुज़ुर्गों या रिटायरमेंट के बाद अपनाई जाने वाली चीज़ है, लेकिन आज की तेज़-तर्रार, विकल्पों से भरी, और डिजिटल रूप से ओवरस्टिम्युलेटेड दुनिया में युवा इसे आंतरिक स्थिरता और स्पष्ट सोच के लिए अपना रहे हैं।
यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि जनरेशन Z सतही सफलता से आगे जाकर गहरे अर्थ और आत्म-चिंतन को प्राथमिकता दे रही है — जो शायद आज के दौर में सबसे ज़रूरी जीवन कौशल बन चुका है।