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क्या गोवा क्लब मालिकों को थाईलैंड से प्रत्यर्पित किया जा सकता है? जानिए संधि क्या कहती है

गोवा क्लब आग के आरोपित मालिक लूथरा भाई थाईलैंड भाग गए। भारत उन्हें प्रत्यर्पण संधि, इंटरपोल और CBI की मदद से वापस ला सकता है। कई क्लब कर्मचारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

गोवा के ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइटक्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की मौत के बाद इसके मालिक गौरव और सौरभ लूथरा पर गंभीर लापरवाही और गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगा है। हालांकि, जांच शुरू होने से पहले ही दोनों भाई सोमवार सुबह देश छोड़कर थाईलैंड के फुकेत भाग गए। इमिग्रेशन रिकॉर्ड से पता चला कि वे सुबह 5:30 बजे इंडिगो की उड़ान 6E 1073 से रवाना हुए।

आग का कारण आतिशबाज़ी को माना जा रहा है, जबकि क्लब में संकरे निकास द्वार और केवल एक संकरी पुलिया होने के कारण लोग बाहर निकल नहीं पाए। एफआईआर दर्ज होने के बाद जब पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया, तभी पता चला कि मालिक देश छोड़ चुके हैं। अधिकारियों ने इसे पुलिस जांच से बचने की कोशिश बताया है।

इस बीच, क्लब के कई ऑपरेशनल स्टाफ—जैसे चीफ जनरल मैनेजर राजीव मोडक, जनरल मैनेजर विवेक सिंह, बार मैनेजर राजीव सिंघानिया और गेट मैनेजर रियान्शु ठाकुर—को गिरफ्तार किया जा चुका है। दिल्ली से प्रबंधन सदस्य भरत कोहली को भी ट्रांजिट रिमांड पर पकड़ा गया है।

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भारत ने लूथरा भाइयों को वापस लाने के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है और इंटरपोल तथा सीबीआई की मदद लेने की तैयारी कर रहा है। साथ ही, भारत 2013 में थाईलैंड के साथ हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि का उपयोग भी कर सकता है, जो 2015 में लागू हुई।

संधि के अनुसार, दोनों देशों के बीच किसी भी ऐसे आरोपी का प्रत्यर्पण संभव है जिस पर दोनों देशों में कम से कम एक वर्ष की सज़ा योग्य अपराध का आरोप हो। भारत में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का केंद्रीय प्राधिकरण विदेश मंत्रालय है, जबकि थाईलैंड में यह जिम्मेदारी अटॉर्नी जनरल के पास है।

प्रत्यर्पण के लिए लिखित अनुरोध, आरोपी का विवरण, अपराध की जानकारी, लागू कानूनों का विवरण और सीमा-समय संबंधी जानकारी देना आवश्यक है। आपात स्थिति में अस्थायी गिरफ्तारी का अनुरोध भी किया जा सकता है।

अगर दस्तावेज़ पर्याप्त न हों, तो संबंधित देश अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है। संधि के तहत दस्तावेज़ों का अनुवाद आवश्यक भाषा में होना भी अनिवार्य है।

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